
भारत के महानगरों में 20 साल की आयु वाले आधे से ज्यादा पुरुषों और दो-तिहाई महिलाओं को उनके जीवनकाल में डायबिटीज (Diabetes) की बीमारी हो सकती है. ज्यादातर लोगों में टाइप-2 डायबिटीज (Type-2 Diabetes) होने का खतरा है. डायबिटोलॉजिया जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी में बड़े शहरों में रहने वाले किसी भी आयु वर्ग और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के लोगों में डायबिटीज होने की संभावना का आकलन किया गया था.

साढ़े 13 करोड़ डायबिटीज मरीज- वैज्ञानिकों का कहना है कि डायबिटीज के कारण देश पर पहले ही करीब साढ़े सात करोड़ से ज्यादा मरीजों की स्वास्थ्य समस्याओं का बोझ है. यही हाल रहा तो साल 2045 तक देश में रोगियों की संख्या बढ़कर तकरीबन साढ़े 13 करोड़ हो जाएगी.

2045 तक क्या होगा हाल?- शहरों में तेजी से विकास के बीच लोगों की डाइट क्वालिटी और फिजिकल एक्टिविटी में कमी की वजह से इस छिपी हुई बीमारी को बढ़ावा मिल रहा है. स्टडी में शहरी इलाकों में उम्र, लिंग और बीएमआई के आधार पर डायबिटीज की दर का आकलन किया है. ये शोध सेंटर फॉर काडीयो मेटाबोलिक रिस्क रिडक्शन इन साउथ एशिया के आंकड़ों (2010-2018) पर आधारित है.

टीनेजर्स रहें सावधान- वैज्ञानिकों ने भारत सरकार (2014) द्वारा आयु और लिंग के आधार पर शहरों में मृत्यु दर और डायबिटीज के प्रसार का विश्लेषण किया है. साथ ही इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के शोध ‘इंडिया डायबीटिज’ (2008-2015) का भी विश्लेषण किया. रिपोर्ट के मुताबिक, 20 साल के पुरुषों और महिलाओं में इस बीमारी के होने का खतरा क्रमश: 56 और 65 फीसदी बढ़ गया है.

महिलाओं में डायबिटीज का खतरा ज्यादा- स्टडी में कहा गया है कि महिलाओं के पूरे जीवनकाल में इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा रहता है. 60 साल के महिला और पुरुष जिन्हें डायबिटीज नहीं है, उनमें भी यह बीमारी होने का खतरा क्रमश: 38 और 28 प्रतिशत है.

मोटे लोग भी रहें सावधान- शहरों में रह रहे मोटे लोगों को भी रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 20 साल के आयु वर्ग वाले 86 प्रतिशत मोटे पुरुषों को डायबिटीज हो सकती है. जबकि महिलाओं में इसका खतरा पुरुषों से एक प्रतिशत ज्यादा है.

कम बीएमआई वालों को राहत- कम बीएमआई वाले लोगों को राहत मिल सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन लोगों का बीएमआई नॉर्मल है, उनकी उम्र का बचा हुआ ज्यादातर हिस्सा डायबिटीज से मुक्त हो सकता है.