दर्जनभर देशों में मंकीपॉक्स का आतंक, इस वायरल संक्रमण के बारे में जान लें ज़रूरी बातें

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यूनाइटेड किंगडम से शुरू हुए मंकीपॉक्स वायरस के मामलों की अब 12 से अधिक देशों में पुष्टि हो चुकी है. माना जा रहा है कि यह संक्रमण तब फैला जब यूके में कुछ संक्रमित लोग नाइजीरिया की यात्रा पर गए. हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों को अभी तक दूसरों में संक्रमण के अन्‍य स्रोत का पता लगाना बाकी है. बता दें कि इस वायरस को नाइजीरिया में रेयर और असामान्‍य माना जा रहा है. डब्ल्यूएचओ ने हाल ही के अपने बयान में कहा कि हालिया प्रकोप “असामान्य हैं क्योंकि वे गैर-स्थानिक देशों में हो रहे हैं”. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, अब तक लगभग 80 मामलों की पुष्‍टि हुई है और 50 जांच अभी लंबित हैं. जबकि इसके मामले और बढ़ने की आशंका है. इंडियन एक्‍सप्रेस के मुताबिक, मंकीपॉक्स एक जूनोसिस रोग है जो जानवरों से इंसानों में फैलता है.

क्‍या है मंकी पॉक्‍स


मंकीपॉक्स एक जूनोसिस रोग है जो जानवरों से इंसानों में फैलता है. यह एक ऑर्थोपॉक्स वायरस है जो चेचक के समान है लेकिन चेचक की तुलना में कम गंभीर होता है. इसे सबसे पहले 1958 में खोजा गया था. तब प्रयोगशाला के बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो लक्षण दिखे थे और इन्‍हें अनुसंधान के लिए यहां रखा गया था. यह जानकारी चेंबूर जेन मल्‍टीस्‍पेशेलिटी हॉस्‍पिटल के कंसल्टिंग फिजीशियन डॉ. विक्रांत शाह ने दी. साल 1970 में पहली बार ये किसी इंसान में पाया गया. बता दें कि ये वायरस मुख्य रूप से मध्य औऱ पश्चिम अफ्रीका के वर्षावन इलाकों में पाया जाता है.

कैसे फैलता है ये


मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के पास जाने या किसी तरह से उनके संपर्क में आने से फैलता है. ये वायरस मरीज के घाव से निकलते हुए आंख, नाक, कान और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है. इसके अलावा, बंदर, चूहे और गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से भी इस वायरस के फैलने का डर बना रहता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, समलैंगिक लोगों से इस संक्रमण के फैलने और इससे संबंधित कई मामलों की जांच अभी जारी है.

संकेत और लक्षण


रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, मंकीपॉक्स की शुरुआत बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकावट से होती है. मंकीपॉक्स के संक्रमण से लक्षणों तक का समय आमतौर पर 7-14 दिनों का होता है लेकिन यह 5-21 दिनों तक हो सकता है. बुखार आने के 1 से 3 दिनों के भीतर रोगी को दाने होते हैं जो अक्सर चेहरे से शुरू होते हैं. फिर धीरे-धीरे ये शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है.

इसका पता कैसे लगाएं


पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) द्वारा वायरल डीएनए टेस्‍ट की मदद से मंकीपॉक्स का पता लगाया जा सकता है. बेहतर होगा अगर डायग्नोसिस के लिए मंकीपॉक्‍स के रैश की स्किन, उसके अंदर का तरल पदार्थ से सैंपल लें. एंटीजेन और एंटीबॉडी इसमें काम नहीं करते. उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक निदेशक डॉ शुचिन बजाज ने बताया कि आम तौर पर मंकीपॉक्स से पीड़ित हर 10वें मरीज की मृत्यु हो सकती है जिनमें अधिकांश मौतें कम आयु वर्ग के लोगों की होती हैं.

क्‍या है बचाव का तरीका


शोधों में पाया गया है कि स्मॉल पॉक्स के खिलाफ प्रयोग किए जाने वाले वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ भी कारगर साबित हुए हैं. इन वैक्सीन को 85 फीसदी तक कारगर साबित माना गया है.

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