
कोरोनावायरस संकट से उबरने की कोशिश में लगे लोगों के सामने अब मंकीपॉक्स का फैलता हुआ संक्रमण एक नई मुसीबत लेकर आया है. दुनिया के करीब 15 देशों में इस वायरस ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. 100 से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुके मंकीपॉक्स को लेकर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी सावधानी बरतने की सलाह दे रहा है. मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, ठंड लगने, चेहरे, शरीर के अन्य हिस्सों या जननांगों पर दाने और घाव का कारण बनता है. ये किसी संक्रमित व्यक्ति या उसके कपड़ों या चादरों के संपर्क के माध्यम से फैल सकता है. इसके इलाज के लिए दुनियाभर में स्टडी की जा रही है. इसी फेहरिस्त में एक स्टडी में पाया गया है कि कुछ एंटीवायरल दवाएं मंकीपॉक्स के लक्षणों में कमी लाने के साथ ही उसकी संक्रमणकारी अवधि को भी कम कर सकती है.
द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में रिसर्चर्स ने साल 2018 से 2021 के बीच ब्रिटेन में मंकीपॉक्स संक्रमण के शिकार हुए सात मरीजों पर पूर्व में की गई स्टडी का ब्योरा दिया है. उन्होंने बताया कि दो एंटीवायरल दवाएं, ब्रिनसीडोफोविर और टेकोविरिमैट इस बीमारी के इलाज में मददगार हो सकती है.
क्या कहते हैं जानकार
स्टडी के मुताबिक, ब्रिनसीडोफोविर के क्लिनिकल फायदे पाए जाने से प्रमाण मिले हैं, जबकि टेकोविरिमैट के बारे में अभी कुछ और रिसर्च की जरूरत है. इस स्टडी के ऑथर डॉ ह्यूग एडलर ने बताया, ‘लिवरपूल यूनिवर्सिटी अस्पताल की एक टीम की रिपोर्ट में बताया गया है कि मंकीपॉक्स वायरस ब्लड और गले के स्वैब में पाया गया है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘फिलहाल ये समझ में नहीं आ रहा है कि यूरोप और नॉर्थ अमेरिका में मई 2022 में मंकीपॉक्स फैलने का कारण क्या है. जो लोग इस रोग से पीड़ित हुए हैं, उनकी ना तो कोई ट्रैवल हिस्ट्री और ना ही पूर्व में ज्ञात कोई लिंक है. ऐसे में हमारी स्टडी इंसानों में मंकीपॉक्स के इलाज में एंटीवायरल के इस्तेमाल का पहला टेस्ट है. शुरुआत में तीन मरीजों को संक्रमण होने के बाद चकत्ते होने पर 7 दिनों तक ब्रिनसीडोफोविर दिया गया. इससे लिवर के ब्लड टेस्ट में फर्क दिखा.’
कैसा रहा दवा का असर
रिसर्चर्स के अनुसार, ये तो पता नहीं कि ब्रिनसीडोफोविर की अलग-अलग डोज का क्लिनिकल रिजल्ट क्या रहा, लेकिन ये तीनों मरीज और एक अन्य मरीज पूरी तरह ठीक हो गए. मंकीपॉक्स के ये तीनों मामले 2021 में ब्रिटेन में रिपोर्ट किए गए थे. एक का इलाज टेकोविरमैट से किया गया और पाया गया कि श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से में वायरस के लक्षण कम समय तक रहे. सभी रोगियों में संक्रमण कम रहा और किसी को गंभीर स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा. हालांकि, एक मरीज में 6 हफ्ते बाद हल्के लक्षण फिर से दिखे, इसलिए अभी कुछ और रिसर्च की ज़रूरत है.