
स्वाइन फ्लू एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो स्वाइन यानी सुअरों को प्रभावित करता है. ये इन्फेक्शन उन लोगों को हो सकता है जो स्वाइन के संपर्क में आते हैं. ये बीमारी पिछले कुछ सालों में बढ़ी है लेकिन इसे वक्त रहते कंट्रोल कर लिया जाता है. जो लोग स्वाइन फ्लू से इन्फेक्टेड होते हैं उन्हें थकान, बुखार, भूख में कमी, खांसी और गले में खराश की समस्या हो सकती है. इसके लक्षण मौसमी फ्लू की तरह ही होते हैं. कुछ लोगों में पेट दर्द, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं. अधिकांश मामलों में इससे पीड़ित व्यक्ति ठीक हो जाते हैं लेकिन प्रॉपर ट्रीटमेंट न मिलने की वजह से ये मौत का कारण भी बन सकती है. स्वाइन फ्लू एक इन्फेक्टेड बीमारी है जो आसानी से एक-दूसरों के संपर्क में आने से फैल सकती है. इस समस्या से परिवार को बचाने के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. चलिए जानते हैं स्वाइन फ्लू से कैसे बचा जाए.
क्या है स्वाइन फ्लू?
स्वाइन फ्लू जिसे एच1एच1 वायरस के रूप में भी जाना जाता है. ये इन्फ्लूएंजा वायरस का ही एक प्रकार है जो कॉमन कफ और कोल्ड के साथ शुरू होता है. हेल्थलाइन के मुताबिक ये स्वाइन से उत्पन्न होता है जो मुख्य रूप से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है. 2009 में सबसे पहले स्वाइल फ्लू के लक्षण मनुष्यों में देखे गए थे. ये बीमारी दुनियाभर में फैली हुई है. डब्ल्यू एच ओ (WHO) ने 2010 में एच1एच1 को महामारी घोषित किया था. ये फ्लू के मौसम में ही फैलता है जिससे अधिक लोग प्रभावित होते हैं. कोविड-19 की तरह इसकी रोकथाम के लिए भी वेक्सिनेशन कराना जरूरी हो सकता है.
ऐसे करें स्वाइन फ्लू से बचाव
हर साल फ्लू का टिका लगवाया जाए.
बार-बार साबुन और हैंड सैनिटाइजर से हाथ धोना.
गंदे हाथों से नाक, मुंह और आंखों को न छुएं.
बुखार, खांसी और जुकाम होने पर स्कूल और ऑफिस न जाएं.
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए भीड़ वाली जगहों पर न जाएं.
बाहर का खाना खाने से बचें.
कोई भी सामान खरीदने के बाद हाथों को सैनिटाइज करना न भूलें.
खांसी या जुकाम होने पर दूसरों के संपर्क में न आएं इससे इन्फेक्शन फैल सकता है.
स्वाइन फ्लू के लक्षण
ठंड लगना
बुखार
खांसी
गले में दर्द
बंद और बहती नाक
बॉडी पेन
चक्कर
डायरिया
उल्टी
स्वाइन फ्लू का उपचार
ज्यादा से ज्यादा रेस्ट करें
इम्यून सिस्टम को सुधारें
अधिक पानी पिएं
फ्रूट और जूस का अधिक सेवन करें
मसालेदार खाने से बचें
प्रॉपर दवाइयां लें