अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की इजरायल यात्रा के दौरान हमास ने पूरी तरह से सीजफायर का पालन किया। बाइडन जब तक इजरायल में रहे, हमास की तरफ से एक भी रॉकेट नहीं फायर किया गया। लेकिन, जैसे ही बाइडन का विमान इजरायली हवाई सीमा से बाहर निकला हमास के हमले फिर से शुरू हो गए।
तेल अवीव: हमास के हमलों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के इजरायल दौरे को लेकर तरह-तरह की चिंताएं जताई जा रही थी। कहा जा रहा था कि हमास अमेरिकी राष्ट्रपति के काफिले को भी निशाना बना सकता है। लेकिन, जब बाइडन इजरायल पहुंचे तो हमास ने अचानक अपने हमलों को रोक दिया।
बाइडन जितने देर तक इजरायल में रहे, हमास की तरफ से गाजा पट्टी से एक भी रॉकेट नहीं दागा गया। लेकिन, उनके वापस लौटते ही हमास ने इजरायल पर एक बार फिर रॉकेट की बरसात कर दी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हमास ने बाइडन की यात्रा के दौरान एक बार भी हमला क्यों नहीं किया। क्या हमास ने अमेरिका को सम्मान दिया या फिर उसे अमेरिकी पलटवार का डर सता रहा था।
दरअसल, बाइडन के इजरायल पहुंचने से पहले ही अमेरिका ने भूमध्य सागर से लेकर तेल अवीव तक ऐसी जबरदस्त घेराबंदी की थी, जिसमें परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। बाइडन की सुरक्षा में 4400 अमेरिकी कमांडो, 13 युद्धपोत और दर्जनों लड़ाकू विमानों के साथ दो एयरक्राफ्ट कैरियर उस इलाके में तैनात थे। इनमें से सिर्फ एक एयरक्राफ्ट कैरियर पर ही इतने हथियार मौजूद थे, जिससे अमेरिका पूरे गाजा पट्टी को पल भर में राख में बदल देता। बाइडन की सुरक्षा में इजरायल में भी सैकड़ों की संख्या में यूएस स्पेशल फोर्सेज के कमांडो मौजूद थे। बाइडन ने उनके साथ एक तस्वीर भी खिंचवाई, जिसे व्हाइट हाउस ने जारी भी किया, लेकिन विवाद बढ़ता देख डिलीट कर दिया। अमेरिका की ये सैन्य तैनाती मध्य पूर्व के किसी भी देश की कुल सेना से ज्यादा थी।
बाइडन की सुरक्षा में मुस्तैद थे अमेरिकी कमांडो
अमेरिकी कमांडो हर खतरे का सामना करने के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात थे। अगर बाइडन पर कैसा भी हमला होता तो यह इजरायल का नहीं, बल्कि अमेरिका का युद्ध होता। मध्य पूर्व के देशों ने दशकों से अमेरिका की जबरदस्त सैन्य ताकत का अनुभव किया है। अमेरिका ऐसा देश है, जो अपने दुश्मन को नेस्तनाबूद करने के लिए बिना वजह भी हमला कर सकता है, खासकर जब वह दुश्मन हमास जैसा छोटा सा आतंकी संगठन हो। ऐसे में हमास ने अपनी भलाई बाइडन के काफिले से दूरी बनाने में समझी और इजरायल की तरफ एक भी बार रॉकेट नहीं दागा। लेकिन, उनके जाते ही यह आतंकी संगठन फिर अपने पूराने स्वरूप में लौट आया।
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