सारांश: सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मामले को लेकर दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है, जिससे चुनाव आयोग को बड़ी राहत मिली है।
नई दिल्ली: ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के जरिए डाले गए वोटों के साथ वोटर वेरिफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों के मिलान की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिससे चुनाव आयोग को बड़ी राहत मिली है।
चुनाव आयोग के तर्क से, वीवीपैट की पर्चियों के मिलान की मांग संविधान की सीमाओं को पार करती है, जो चुनाव प्रक्रिया को संविधानिक रूप से निरापेक्ष बनाते हैं।
चुनावी विवाद की बातें:
चुनावी विवाद के मामले में, कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके वीवीपैट की पर्चियों के संपूर्ण मिलान की मांग की थी। इससे पहले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिससे चुनाव आयोग को आराम मिला।
मुख्य निर्देश:
सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट की पर्चियों के मिलान की याचिकाओं को खारिज किया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने चुनाव आयोग को सिंबल लोडिंग यूनिट को 45 दिन तक सुरक्षित रखने का निर्देश भी दिया है। अगर कोई प्रत्याशी वेरिफिकेशन की मांग करता है, तो उस स्थिति में उसका खर्चा उसी से वसूला जाएगा।
आखिरी धारणा:
वीवीपैट मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला चुनाव आयोग की योजनाओं को समर्थन देता है, जिससे चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित और निष्पक्ष बनाए रखा जा सकता है।
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