सुप्रीम कोर्ट ने 'स्त्रीधन' के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि पति को पत्नी की इस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। यहां हम इस फैसले के पांच महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
मामले का सारांश:एक महिला को अपने परिवार से शादी के मौके पर 89 सोने के सिक्के उपहार में मिले थे। लेकिन शादी की पहली रात ही पति ने उन गहनों को ले लिया और अपनी मां को सौंप दिया। बाद में, उसने गहनों को बेच दिया। महिला के पिता ने भी उसके पिता को 2 लाख रुपये का चेक दिया था।
कोर्ट में प्रस्तुति:
फैमिली कोर्ट ने 2011 में निर्णय दिया कि महिला के सोने को उसके पति और सास ने गबन किया था। पति ने इस निर्णय के खिलाफ केरल हाई कोर्ट में अपील की, जिसने फैमिली कोर्ट के निर्णय को पलट दिया। इसके बाद, मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 'स्त्रीधन' पति-पत्नी की संपत्ति नहीं होती है, और उस पर पति का कोई अधिकार नहीं होता। यह संपत्ति महिला की पूर्ण संपत्ति होती है, और वह इसे अपनी इच्छा के अनुसार उपयोग कर सकती है।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि स्त्रीधन को लेकर कोई भी अन्याय नहीं होना चाहिए। पतियों को अपनी पत्नियों की संपत्ति का सम्मान करने और उनका सहयोग करने की जिम्मेदारी होती है। इस निर्णय से महिलाओं के अधिकारों को मजबूत किया जाता है।
संक्षेप:
सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन के मामले में महत्वपूर्ण फैसला दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि पति को पत्नी की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। इससे महिलाओं के अधिकारों को मजबूत किया गया है।
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