सारांश : स्विस नेशनल बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नागरिकों और कंपनियों का स्विस बैंकों में जमा धन 2023 में 70% गिरकर 1.04 अरब स्विस फ्रैंक (9,771 करोड़ रुपये) रह गया है। यह चार साल के न्यूनतम स्तर पर है। इस गिरावट का मुख्य कारण बॉन्ड, प्रतिभूतियों और अन्य वित्तीय साधनों में तेज गिरावट है।
स्विस बैंकों में भारतीय धन की स्थिति
स्विस नेशनल बैंक (SNB) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के अंत तक भारतीय नागरिकों और कंपनियों का स्विस बैंकों में जमा धन चार साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया है। 1.04 अरब स्विस फ्रैंक (लगभग 9,771 करोड़ रुपये) जमा है, जो 2021 में 14 साल के उच्चतम स्तर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक से 70% कम है।
गिरावट के कारण
स्विस नेशनल बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, इस गिरावट का मुख्य कारण बॉन्ड, प्रतिभूतियों और अन्य वित्तीय साधनों में तेज गिरावट है। ग्राहक जमा खातों और अन्य बैंक शाखाओं के माध्यम से रखे गए धन में भी कमी आई है। इन आंकड़ों का स्विट्जरलैंड में भारतीयों द्वारा रखे गए कथित काले धन से कोई संबंध नहीं है।
2019 से साझा हो रहे आंकड़े
स्विट्जरलैंड और भारत के बीच कर मामलों में सूचनाओं का स्वचालित आदान-प्रदान 2018 से लागू है। इसके तहत, स्विस वित्तीय संस्थानों में खाते रखने वाले भारतीय नागरिकों की विस्तृत वित्तीय जानकारी पहली बार सितंबर 2019 में भारतीय कर अधिकारियों को प्रदान की गई थी और इसका पालन हर साल किया जा रहा है। स्विस अधिकारियों ने यह भी कहा है कि स्विट्जरलैंड में भारतीय निवासियों द्वारा रखी गई संपत्ति को 'काला धन' नहीं माना जा सकता है और वे कर धोखाधड़ी और चोरी के खिलाफ लड़ाई में भारत का सक्रिय रूप से समर्थन करते हैं।
स्विस बैंकों में भारतीय धन का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
2006 में भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा राशि 6.5 अरब स्विस फ्रैंक के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर थी। इसके बाद 2011, 2013, 2017, 2020 और 2021 में कुछ वर्षों को छोड़कर, यह राशि ज्यादातर घटती ही रही है। 2021 में यह फिर से बढ़कर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक तक पहुंची, लेकिन 2023 में यह 1.04 अरब स्विस फ्रैंक तक गिर गई।
भविष्य की दिशा
आंकड़ों के अनुसार, स्विस बैंकों में भारतीय धन में गिरावट का प्रमुख कारण वित्तीय साधनों में कमी है। यह गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था और स्विस बैंकिंग प्रणाली के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, स्विस नेशनल बैंक के आंकड़े बताते हैं कि भारत और स्विट्जरलैंड के बीच पारदर्शिता और सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया ने भी इस गिरावट में भूमिका निभाई है।
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