सारांश: बिहार में पुल गिरने की घटनाओं की बाढ़ आ गई है। सात दिनों के भीतर यह तीसरी घटना है, जिसने राज्य की सरकारी कार्यप्रणाली और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मोतिहारी में शनिवार को एक निर्माणाधीन पुल के गिरने से डेढ़ करोड़ रुपये पानी में बह गए। हालाँकि, किसी की जान नहीं गई, लेकिन इन घटनाओं ने लोगों में गुस्सा और चिंता बढ़ा दी है।


बिहार में पुल गिरने की घटनाएं: सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल, सात दिनों में तीसरी घटना


पुल गिरने की घटनाओं से बिहार में हड़कंप

बिहार में एक के बाद एक पुल गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं। ताज़ा मामला मोतिहारी का है, जहाँ शनिवार सुबह एक निर्माणाधीन पुल धराशायी हो गया। इस पुल के गिरने से स्थानीय लोगों में अफरातफरी मच गई। गनीमत रही कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ। सप्ताह भर में यह बिहार में पुल गिरने की तीसरी घटना है, जिसने राज्य सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान

मोतिहारी जिले के घोड़ासहन इलाके में अमावा से चैनपुर स्टेशन जाने वाली सड़क पर यह पुल बनाया जा रहा था। इस पुल के निर्माण में करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हुए थे। कुछ दिनों से पुल की ढलाई का काम चल रहा था, लेकिन शनिवार की सुबह यह पुल अचानक गिर गया। इस घटना से आसपास के इलाकों में हड़कंप मच गया और स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।


भ्रष्टाचार के आरोप और जनता का गुस्सा

लगातार पुल गिरने की घटनाओं ने राज्य में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। सात दिनों के भीतर बिहार में तीसरा पुल गिरा है। पहले अररिया, फिर सिवान और अब मोतिहारी में हुई इन घटनाओं ने सरकारी तंत्र और ठेकेदारों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन घटनाओं से लोगों में गुस्सा और चिंता का माहौल है। लोग अब पुलों पर चलने से भी डरने लगे हैं।


पिछले हफ्ते की घटनाएं

पिछले मंगलवार को अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर बना पुल ध्वस्त हो गया था। यह पुल पूरी तरह से बन चुका था और उसके उद्घाटन की तैयारी हो रही थी, लेकिन उद्घाटन से पहले ही यह गिर गया। इसके बाद शुक्रवार को सिवान में गंडक नहर पर बना पुल भी गिर गया। इस पुल के गिरने से पुल दो हिस्सों में बंट गया था। और अब मोतिहारी में यह तीसरी घटना हो गई है।


प्रशासन की प्रतिक्रिया

तीसरी घटना के बाद प्रशासन और सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। पुल गिरने की इन घटनाओं ने राज्य की निर्माण कार्यप्रणाली और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य सरकार ने इन घटनाओं की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है, जो इन घटनाओं के कारणों की जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।


जनता की सुरक्षा पर सवाल

इन घटनाओं से बिहार में लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। लोग अब पुलों से गुजरने में डर महसूस कर रहे हैं। राज्य में निर्माण कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार और घटिया सामग्री के इस्तेमाल ने लोगों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।


आगे की राह

सरकार और प्रशासन को इन घटनाओं से सबक लेना होगा और निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करनी होगी। ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह बनाना होगा और भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई करनी होगी। इसके साथ ही, पुलों की नियमित निगरानी और मरम्मत की व्यवस्था भी करनी होगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

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