सारांश: कर्नाटक सरकार ने एक दिन में काम के घंटे बढ़ाकर 14 करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे आईटी इंडस्ट्री और लेबर यूनियनों में नाराजगी है। नासकॉम ने 48 घंटे के कार्य सप्ताह का समर्थन करते हुए इस प्रस्ताव का विरोध किया है।
भारत का दक्षिणी राज्य कर्नाटक हाल ही में अपने श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलावों के कारण सुर्खियों में है। राज्य सरकार ने एक दिन में अधिकतम काम के घंटे को 10 से बढ़ाकर 14 करने का प्रस्ताव रखा है, जिसने आईटी इंडस्ट्री और लेबर यूनियनों में हलचल मचा दी है। इस प्रस्ताव पर कई संगठनों ने आपत्ति जताई है, जिसमें आईटी इंडस्ट्री के प्रमुख संगठन नासकॉम भी शामिल है।
आईटी इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नासकॉम) ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह इस प्रस्ताव का विरोध करता है। नासकॉम का कहना है कि वह देश में 48 घंटे के कार्य सप्ताह का समर्थन करता है, जो वर्तमान में मानक है। नासकॉम के वाइस प्रेसिडेंट और पब्लिक पॉलिसी प्रमुख आशीष अग्रवाल ने कहा, "हमने 14 घंटे के कार्य दिवस या 70 घंटे के कार्य सप्ताह का कोई अनुरोध नहीं किया है। हमने अभी तक प्रस्तावित बिल की कॉपी नहीं देखी है, लेकिन हम 48 घंटे के कार्य सप्ताह का पूरी तरह से समर्थन करते हैं।"
वर्तमान कानून और प्रस्तावित बदलाव
वर्तमान में, कर्नाटक में श्रम कानून के अनुसार, कर्मचारियों से एक दिन में अधिकतम 10 घंटे काम कराया जा सकता है, जिसमें ओवरटाइम भी शामिल है। लेकिन प्रस्तावित संशोधन के तहत, यह सीमा बढ़ाकर 14 घंटे करने का प्रयास किया जा रहा है। इस बदलाव से कर्मचारियों पर अधिक कार्यभार डालने की आशंका जताई जा रही है, जिसके चलते आईटी इंडस्ट्री और लेबर यूनियनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।
लेबर यूनियनों का विरोध
लेबर यूनियनों का कहना है कि इस प्रस्ताव से कर्मचारियों की कार्य परिस्थितियां और खराब हो सकती हैं। यूनियनों का मानना है कि अधिक काम के घंटे से कर्मचारियों की उत्पादकता और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस वजह से, उन्होंने सरकार से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
नासकॉम का स्पष्ट रुख
नासकॉम ने अपने बयान में कहा है कि वह 14 घंटे के कार्य दिवस का समर्थन नहीं करता है। संगठन ने 48 घंटे के कार्य सप्ताह के पक्ष में अपना रुख स्पष्ट किया है और कहा है कि यह व्यवस्था देश में पहले से ही मानक है और इसे बदलने की आवश्यकता नहीं है। नासकॉम का मानना है कि इस प्रकार के प्रस्ताव से आईटी इंडस्ट्री की कार्य संस्कृति और कर्मचारियों की संतुष्टि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
सरकार की प्रतिक्रिया
कर्नाटक सरकार ने अभी तक इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन उसने संकेत दिया है कि वह श्रम कानूनों में बदलाव की आवश्यकता पर विचार कर रही है। सरकार का कहना है कि वह इस मुद्दे पर सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद ही कोई निर्णय लेगी।
उद्योग और कर्मचारियों की चिंताएं
आईटी इंडस्ट्री और लेबर यूनियनों का मानना है कि अधिक काम के घंटे से कर्मचारियों की कार्य संतुलन और जीवन संतुलन प्रभावित हो सकता है। उन्होंने सरकार से इस प्रस्ताव को वापस लेने और वर्तमान कार्य घंटे सीमा को बरकरार रखने की मांग की है। यूनियनों ने यह भी कहा है कि इस प्रस्ताव से कर्मचारियों की उत्पादकता और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो कि उद्योग के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
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