सारांश: महाराष्ट्र के नालासोपारा में वसई-विरार मनपा क्षेत्र की 41 अवैध इमारतों को तोड़ने का आदेश हाई कोर्ट ने दिया है। इन इमारतों में लगभग 2000 परिवार रहते हैं, जो अब बेघर होने की कगार पर हैं। ये इमारतें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाई गई थीं। जमीन मालिक की जनहित याचिका पर कोर्ट ने अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। मनपा ने सभी परिवारों को नोटिस भेजा है, लेकिन लोग परेशान और नाराज हैं।


महाराष्ट्र में हाई कोर्ट का आदेश: नालासोपारा में 41 अवैध इमारतों पर चलेगा बुलडोजर, 2000 परिवारों पर संकट


महाराष्ट्र के नालासोपारा में 41 अवैध इमारतों को गिराने का आदेश हाई कोर्ट ने वसई-विरार नगर पालिका (मनपा) को दिया है। इन इमारतों में करीब 2000 परिवार रह रहे हैं, जिनके सामने अब बेघर होने का संकट आ खड़ा हुआ है। मनपा के सहायक आयुक्त गिलशन गोंसाल्विस ने स्पष्ट किया है कि कोर्ट के आदेश का पालन करना अनिवार्य है और सभी अवैध इमारतों पर कार्रवाई की जाएगी।


राजनीतिक गठजोड़ और बिल्डरों का खेल:


नालासोपारा में अग्रवाल नगरी और वसंत नगरी क्षेत्रों में कई बड़े राजनीतिक नेताओं और बिल्डरों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध इमारतें खड़ी कर दीं। इन इमारतों को फर्जी कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) के सहारे बनाया गया है। लोगों ने अपनी जिंदगीभर की कमाई से इन फ्लैट्स को खरीदा, लेकिन अब उन्हें बेघर होने का डर सता रहा है।


सालों से चली आ रही है अनदेखी:


यह मामला कोई नया नहीं है। 2006 से पहले ही बविआ के पूर्व नगरसेवक सीताराम गुप्ता और उनके भतीजे अरुण गुप्ता ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध इमारतों का निर्माण शुरू किया था। 2010-12 के बीच यहां चार मंजिला 41 इमारतें खड़ी हो गईं। आरोप है कि उस समय के मनपा अधिकारियों ने भी इन अवैध निर्माणों को संरक्षण दिया। जमीन मालिक अजय शर्मा ने कई बार इन अतिक्रमणों की शिकायत मनपा में की, लेकिन राजनीतिक दबाव और अधिकारियों की अनदेखी के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।


अदालती लड़ाई और हाई कोर्ट का आदेश:


जमीन मालिक अजय शर्मा ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की, जिसके परिणामस्वरूप पिछले साल अवैध निर्माणकर्ताओं सीताराम और अरुण के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ और उन्हें जेल भेजा गया। कोर्ट ने हाल ही में मनपा को आदेश दिया है कि इन सभी अवैध इमारतों को गिराया जाए।


बेघर होने की चिंता में लोग:


हाई कोर्ट के आदेश के बाद मनपा ने सभी फ्लैटधारकों को नोटिस देना शुरू कर दिया है। यह नोटिस मिलने के बाद से लोग बेहद चिंतित और नाराज हैं। उनका कहना है कि जब बिल्डरों ने इतनी बड़ी तादाद में अवैध इमारतें बनाईं, तब मनपा ने कार्रवाई क्यों नहीं की? अब जब इमारतें बनकर लोगों को बेच दी गईं और लोग यहां रहने लगे, तब क्यों कार्रवाई की जा रही है? लोगों ने कोर्ट से मांग की है कि तत्कालीन अधिकारियों की भी जांच कराई जाए, जिन्होंने इस अवैध निर्माण में बिल्डरों की मदद की।


समस्याओं से जूझते परिवार:


इन 41 इमारतों में रह रहे लगभग 2000 परिवारों के सामने अब बरसात के बीच बेघर होने का संकट है। लोग टैक्स भी भर रहे थे और अचानक उन्हें बेघर होने की नौबत आ गई है। यह स्थिति उनके लिए मानसिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टिकोण से अत्यंत कठिन है।


मनपा की तैयारी और अगले कदम:


मनपा अब कोर्ट के आदेश का पालन करने की तैयारी में जुटी है। हालांकि, इतने बड़े पैमाने पर लोगों को हटाने की प्रक्रिया जटिल और चुनौतीपूर्ण है। मनपा ने अपने अधिकारियों को इस काम में लगाकर जल्द से जल्द कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

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