सारांश: असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिसमें अब तक 58 लोगों की जान जा चुकी है और 23 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। राज्य की प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। 293 राहत शिविरों में 53,429 लोग शरण लिए हुए हैं। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ से 114 जानवरों की मौत हो गई है। गुवाहाटी में आठ वर्षीय बच्चा खुले नाले में गिरने से लापता है, जिसे खोजने के प्रयास जारी हैं।


असम में बाढ़ का कहर: 58 लोगों की मौत, लाखों प्रभावित


असम में बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है। पिछले 24 घंटों में बाढ़ के कारण छह और लोगों की मौत हो गई है, जिसमें चार बच्चे भी शामिल हैं। अब तक बाढ़ से 58 लोगों की जान जा चुकी है और करीब 23 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। राज्य की प्रमुख नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे हालात और भी खराब हो गए हैं।


राहत शिविरों में शरण लिए लोग:


असम के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ से प्रभावित लोगों को 293 राहत शिविरों में शरण दी गई है, जहां कुल 53,429 लोग रह रहे हैं। इन शिविरों में लोगों को भोजन, पानी और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर रख रहा है और राहत कार्यों को तेजी से अंजाम देने में जुटा है।


काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में भीषण तबाही:


बाढ़ का प्रकोप काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में भी देखने को मिल रहा है, जहां पानी का स्तर कम होने के बावजूद 114 जानवरों की मौत हो चुकी है, जिनमें छह गैंडे भी शामिल हैं। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और यहां की वन्यजीवन की सुरक्षा के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।


गुवाहाटी में आठ वर्षीय बच्चा लापता:


गुवाहाटी के पहाड़ी ज्योतिनगर क्षेत्र में एक दुखद घटना घटी, जहां आठ वर्षीय अभिनाश गुरुवार शाम को अपने पिता की स्कूटी से फिसलकर खुले नाले में गिर गया। तब से उसके पिता हीरालाल सरकार उसकी तलाश में जुटे हैं। प्रशासनिक तंत्र भी विभिन्न मशीनों और खोजी कुत्तों की मदद से तलाशी अभियान चला रहा है।


प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति:


राज्य के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ से हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। कई इलाकों में लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। प्रशासन द्वारा राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव दल तैनात किए गए हैं।


सरकारी प्रयास और चुनौतियां:


असम सरकार और केंद्र सरकार मिलकर बाढ़ से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। राहत और बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। हालांकि, बाढ़ की गंभीरता और प्रभावित क्षेत्रों की व्यापकता के कारण चुनौतियां बहुत बड़ी हैं। प्रशासन को लोगों की सुरक्षा और उनके पुनर्वास के लिए तेजी से काम करना होगा।


स्थानीय निवासियों की परेशानी:


बाढ़ के कारण लाखों लोग बेघर हो गए हैं और उनकी जीविका पर भी असर पड़ा है। फसलें बर्बाद हो गई हैं और पशुधन को भी नुकसान हुआ है। लोग पानी की कमी, भोजन की समस्या और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा राहत शिविरों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन हालात को सामान्य करने में समय लगेगा।


नदी किनारे के गांवों की स्थिति:


असम की प्रमुख नदियों के किनारे बसे गांवों में स्थिति सबसे अधिक गंभीर है। यहां के लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। बाढ़ के पानी के कारण गांवों में आने-जाने के रास्ते बंद हो गए हैं, जिससे राहत कार्यों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। प्रशासन द्वारा नावों और हेलीकॉप्टरों की मदद से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।

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