सारांश : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन पर देशभर में शोक की लहर है। अंतिम संस्कार 28 दिसंबर को राजघाट पर होगा। सरकार ने 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।

India के महान अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh का निधन


भारतीय राजनीति के सरल व्यक्तित्व का अंत

डॉ. मनमोहन सिंह, भारतीय राजनीति के सादगी और ईमानदारी के प्रतीक, का 92 वर्ष की उम्र में 27 दिसंबर की रात दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया। गुरुवार को शाम के समय अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रात 9:51 बजे डॉक्टरों ने उनके निधन की पुष्टि की।


आखिरी दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

उनके निधन के बाद पार्थिव शरीर को AIIMS से उनके दिल्ली स्थित आवास पर लाया गया। अंतिम दर्शन के लिए वहां नेताओं और आम जनता की भीड़ उमड़ पड़ी। परिवार के सदस्यों के मुताबिक, डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार 28 दिसंबर को राजघाट पर किया जाएगा। उनकी बेटी, जो अमेरिका में हैं, के लौटने का इंतजार किया जा रहा है।


नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

डॉ. सिंह के निधन पर देशभर के नेताओं ने शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के महान नेता थे। उनके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा।" उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य दिग्गज नेताओं ने उनके आवास पर पहुंचकर अंतिम दर्शन किए और श्रद्धांजलि अर्पित की।


राजकीय शोक की घोषणा

सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के सम्मान में 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने भी अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।


डॉ. सिंह का स्वास्थ्य और संघर्ष

डॉ. मनमोहन सिंह लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें पहले भी कई बार अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका था। उम्र बढ़ने के साथ उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। लेकिन उनके निधन ने देश को गहरे शोक में डाल दिया है।


डॉ. मनमोहन सिंह का अद्वितीय योगदान

डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति में सादगी, विद्वता और सुधारवादी दृष्टिकोण के प्रतीक माने जाते हैं। 1991 में वित्त मंत्री के रूप में उनके द्वारा लागू किए गए आर्थिक सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों को लागू करके भारत को आर्थिक संकट से उबारा और वैश्विक मंच पर मजबूती प्रदान की।


प्रधानमंत्री के रूप में उनकी विरासत

डॉ. सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने कई प्रमुख योजनाओं को लागू किया, जिनमें मनरेगा, ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और भारत-अमेरिका परमाणु समझौता शामिल हैं। उनके नेतृत्व में देश ने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छुईं।


सादगी और शालीनता का उदाहरण

डॉ. सिंह अपने जीवन और कार्यशैली में सादगी के प्रतीक थे। वे हमेशा विवादों से दूर रहकर अपने काम में लीन रहते थे। उनकी शालीनता और निष्कलंक छवि ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान दिलाई।


देशभर में शोक की लहर

डॉ. सिंह के निधन की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। सोशल मीडिया पर लोग उनके योगदान को याद कर रहे हैं। हर वर्ग के लोग उन्हें एक सच्चे नेता, महान अर्थशास्त्री और भारत के विकास के लिए प्रतिबद्ध व्यक्ति के रूप में याद कर रहे हैं।


युग का अंत

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के साथ भारतीय राजनीति के एक स्वर्णिम अध्याय का अंत हो गया है। उनका जीवन और कार्य हमेशा भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक मील का पत्थर रहेगा। उनके द्वारा शुरू किए गए सुधार और योजनाएं आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी।


डॉ. मनमोहन सिंह को न केवल एक नेता बल्कि एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। उनका नाम भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा।

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