सारांश : चीन द्वारा पंचेन लामा को नेपाल भेजकर बौद्ध धर्म को कूटनीतिक हथियार के रूप में उपयोग करने की योजना नाकाम हो गई। नेपाल ने इस यात्रा को सुरक्षा और भू-राजनीतिक जोखिम मानते हुए मंजूरी नहीं दी। इससे चीन की विस्तारवादी नीति पर सवाल खड़े हो गए हैं।
चीन की विस्तारवादी साजिश उजागर
चीन लंबे समय से खुद को शांति और विकास का मसीहा बताने की कोशिश करता रहा है। लेकिन उसकी विस्तारवादी नीति समय-समय पर उजागर होती रहती है। हाल ही में नेपाल के जरिए चीन ने तिब्बती बौद्ध धर्म के खिलाफ साजिश रची। उसने पंचेन लामा, जिन्हें उसने दलाई लामा का उत्तराधिकारी घोषित किया है, को बुद्ध जयंती के मौके पर लुंबिनी भेजने की योजना बनाई थी।
चीन इस यात्रा के जरिए बौद्ध धर्म को कूटनीतिक हथियार बनाकर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को कमजोर करना चाहता था। लेकिन नेपाल सरकार ने इसे समझते हुए पंचेन लामा की यात्रा को रोक दिया।
पंचेन लामा कौन हैं?
पंचेन लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण धर्मगुरु हैं। तिब्बती परंपरा के अनुसार, दलाई लामा और पंचेन लामा धर्म के दो प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। हालांकि, चीन ने असली पंचेन लामा गेदुन चोएकी न्यिमा को कैद कर लिया और अपनी पसंद के पंचेन लामा की नियुक्ति कर दी।
तिब्बती समुदाय और पश्चिमी देशों के अनुसार, चीन समर्थित पंचेन लामा केवल एक कठपुतली हैं। असली पंचेन लामा की गुमशुदगी को लेकर आज भी कई सवाल खड़े होते हैं।
नेपाल में साजिश से मचा हड़कंप
नेपाल में पंचेन लामा की संभावित यात्रा की खबर लीक होते ही सरकार सतर्क हो गई। गृह और पर्यटन मंत्रालय ने चीन से आने वाले सभी यात्रियों की सूची की गहन जांच शुरू की।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंचेन लामा को 227 चीनी भिक्षुओं और अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल में छिपाकर नेपाल लाने की योजना थी। लेकिन नेपाल सरकार ने इसे समय रहते विफल कर दिया।
नेपाल का कड़ा रुख
नेपाल ने हमेशा धार्मिक मामलों में तटस्थता बनाए रखने की नीति अपनाई है। नेपाली विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया कि पंचेन लामा की यात्रा को मंजूरी नहीं दी जाएगी।
इससे पहले भी नेपाल ने दलाई लामा को देश में प्रवेश करने से मना कर दिया था। इसी तर्ज पर चीन समर्थित पंचेन लामा को भी रोका गया। नेपाल के इस कदम ने यह संदेश दिया कि वह किसी भी दबाव में आकर अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा।
यात्रा को रोकने के कारण
लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष लयरकाल लामा ने काठमांडू पोस्ट को दिए बयान में कहा कि पंचेन लामा की यात्रा से नेपाल के लिए सुरक्षा और भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ सकते थे।
उन्होंने यह भी बताया कि पंचेन लामा जैसे उच्च पद के व्यक्ति की सुरक्षा केवल सरकारी स्तर पर ही संभाली जा सकती थी। इसके अलावा, यह यात्रा चीन और नेपाल के बीच विवाद का कारण बन सकती थी।
चीन की प्रतिक्रिया
चीन ने पंचेन लामा की यात्रा की खबरों को अफवाह बताया। चीनी दूतावास ने नेपाल के गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से स्पष्टता मांगी।
नेपाल ने हालांकि स्पष्ट कर दिया कि उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं होगा और पंचेन लामा की यात्रा पर रोक जारी रहेगी।
भू-राजनीति पर असर
नेपाल के इस कदम ने चीन की विस्तारवादी नीति पर रोक लगाई है। इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि नेपाल अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के मुद्दों पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं है।
चीन की इस योजना के असफल होने से तिब्बती समुदाय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक सकारात्मक संदेश गया है। यह घटना नेपाल की कूटनीतिक परिपक्वता का उदाहरण है।
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