सारांश : अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत भारतीय शोधकर्ता बदर खान सूरी को अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया है। उन पर हमास से संबंध रखने और सोशल मीडिया पर यहूदी-विरोधी प्रचार करने के आरोप हैं। उनकी पत्नी मेफेज सालेह, जो गाजा की मूल निवासी हैं, अमेरिकी नागरिक हैं। सूरी के वकील का दावा है कि उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक कारणों से प्रेरित है।


US में Indian शोधकर्ता Badar Khan Suri की गिरफ्तारी : Hamas से संबंधों के आरोप और निर्वासन की संभावना


अमेरिका में भारतीय नागरिक और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता बदर खान सूरी की हालिया गिरफ्तारी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। उन पर फिलिस्तीनी संगठन हमास से संबंध रखने और सोशल मीडिया पर यहूदी-विरोधी प्रचार करने के आरोप लगाए गए हैं। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका में विदेशी नागरिकों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।


गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि


बदर खान सूरी, जो जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो हैं, को सोमवार रात वर्जीनिया के रॉसलिन में उनके आवास के बाहर से गिरफ्तार किया गया। पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, नकाबपोश एजेंटों ने स्वयं को होमलैंड सिक्योरिटी विभाग का कर्मचारी बताते हुए सूरी को सूचित किया कि उनका वीजा रद्द कर दिया गया है। 


आरोपों का विवरण


होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की सहायक सचिव ट्रिशिया मैकलॉघलिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि सूरी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में एक विदेशी छात्र हैं और सक्रिय रूप से हमास का दुष्प्रचार कर रहे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सूरी सोशल मीडिया पर यहूदी-विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दे रहे थे और उनका एक संदिग्ध आतंकवादी से घनिष्ठ संबंध है, जो हमास का वरिष्ठ सलाहकार है। 


वकील का पक्ष


सूरी के वकील हसन अहमद ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि सूरी को उनकी पत्नी की फिलिस्तीनी विरासत के कारण निशाना बनाया जा रहा है। उनकी पत्नी मेफेज सालेह, जो गाजा की मूल निवासी हैं, अमेरिकी नागरिक हैं और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के समकालीन अरब अध्ययन केंद्र में प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। अहमद का कहना है कि सरकार को संदेह है कि सूरी और उनकी पत्नी अमेरिकी विदेश नीति के तहत इजरायल के प्रति अपनाए गए रुख के विरोधी हैं, जिसके चलते उन्हें निशाना बनाया गया है। 


विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया


जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी ने सूरी की गिरफ्तारी पर कोई टिप्पणी नहीं की है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें सूरी की किसी भी गैरकानूनी गतिविधि की जानकारी नहीं है। यह मामला विश्वविद्यालय समुदाय में चिंता का विषय बना हुआ है, विशेषकर उन छात्रों और कर्मचारियों के लिए जो अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर काम कर रहे हैं।


राजनीतिक संदर्भ


यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रशासन विदेशी नागरिकों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रख रही है, विशेषकर उन पर जो इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन समर्थन रैलियों में शामिल हुए हैं। ट्रंप प्रशासन की यह कार्रवाई नागरिक अधिकारों और अप्रवासी वकालत समूहों के विरोध का कारण बनी है, जो आरोप लगाते हैं कि प्रशासन अपने राजनीतिक विरोधियों को गलत तरीके से निशाना बना रहा है। 


सूरी की प्रोफ़ाइल


बदर खान सूरी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के अलवलीद बिन तलाल सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्टडॉक्टोरल फेलो के रूप में कार्यरत हैं, जो विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस का हिस्सा है। उनकी पत्नी मेफेज सालेह ने गाजा के इस्लामिक यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता और सूचना में स्नातक की डिग्री ली है और भारत में नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन से संघर्ष विश्लेषण और शांति स्थापना में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है। 


आगे की कार्रवाई


सूरी वर्तमान में लुइसियाना के अलेक्जेंड्रिया में हिरासत में हैं और आव्रजन अदालत में अपनी सुनवाई की तारीख का इंतजार कर रहे हैं। उनके वकील हसन अहमद ने कहा है कि यदि संघर्ष के समाधान पर ध्यान लगाने वाले स्कॉलर को सरकार विदेश नीति के लिए बुरा मानती है, तो शायद समस्या सरकार में है, स्कॉलर में नहीं। 


निष्कर्ष


बदर खान सूरी की गिरफ्तारी और संभावित निर्वासन का मामला कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है, विशेषकर विदेशी छात्रों और शोधकर्ताओं की स्वतंत्रता और सुरक्षा के संदर्भ में। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला कैसे विकसित होता है और इसके अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ते हैं।

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