भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita, BNS) भारत में एक नवीन आपराधिक कानून है, जो 1 जुलाई 2024 को लागू हुआ। यह संहिता 163 साल पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC) का स्थान लेती है। इस नए कानून का उद्देश्य न्यायिक प्रणाली को अधिक प्रभावी और सख्त बनाना है। भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत विभिन्न अपराधों के लिए सजा के प्रावधान में संशोधन और अद्यतन किया गया है।
पृष्ठभूमि
भारतीय दंड संहिता (IPC) की स्थापना 1860 में ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी। यह कानून उस समय की आवश्यकताओं को पूरा करता था, लेकिन समय के साथ इसमें कई खामियां और कमियाँ सामने आईं। स्वतंत्रता के बाद भी, IPC में समय-समय पर संशोधन किए गए, परंतु एक व्यापक सुधार की आवश्यकता बनी रही। भारतीय न्याय संहिता इसी सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
संरचना
भारतीय न्याय संहिता में कुल 358 धाराएँ (सेक्शन) हैं, जबकि पुराने भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएँ थीं। इसमें 21 नए प्रकार के अपराधों को शामिल किया गया है और 41 अपराधों के लिए सजा की अवधि को बढ़ाया गया है। इसके अतिरिक्त, 82 अपराधों में जुर्माने की राशि को भी बढ़ाया गया है। बीएनएस में 25 ऐसे अपराध हैं, जिनमें न्यूनतम सजा का प्रावधान है और 6 अपराधों के लिए सामाजिक सेवा का दंड दिया जाएगा। साथ ही, 19 अपराधों को हटा दिया गया है।
मुख्य विशेषताएँ
नए अपराधों का समावेश: बीएनएस में 21 नए प्रकार के अपराध जोड़े गए हैं, जिनमें साइबर अपराध, आर्थिक अपराध और संगठित अपराध शामिल हैं।
सजा में वृद्धि: 41 अपराधों के लिए कारावास की सजा की अवधि बढ़ाई गई है और 82 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है।
सामाजिक सेवा: 6 अपराधों के लिए सामाजिक सेवा का दंड दिया जाएगा, जो अपराधियों के पुनर्वास और सामाजिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देगा।
अपराधों का हटाना: 19 पुराने और अप्रासंगिक अपराधों को हटाया गया है।
प्रवर्तन
बीएनएस का प्रवर्तन 1 जुलाई 2024 से हुआ है। हालाँकि, यह प्रावधान लागू होने से पहले दर्ज किए गए मामलों में पुरानी भारतीय दंड संहिता (IPC) और अन्य संबंधित कानूनों का ही पालन किया जाएगा। केंद्र सरकार ने फरवरी 2024 में गजट अधिसूचना जारी कर इस कानून को लागू करने का निर्णय लिया था।
उद्देश्य
भारतीय न्याय संहिता का मुख्य उद्देश्य देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक आधुनिक, सशक्त और पारदर्शी बनाना है। इस कानून का लक्ष्य अपराधों पर सख्ती से नकेल कसना और न्याय प्रणाली में सुधार लाना है।