भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन

भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन भारत और रूस के बीच एक द्विपक्षीय वार्षिक बैठक है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करना और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है। यह सम्मेलन दोनों देशों के उच्चतम स्तर के नेताओं की उपस्थिति में आयोजित किया जाता है और इसमें महत्वपूर्ण समझौतों और साझेदारियों पर चर्चा होती है।


भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन


इतिहास और पृष्ठभूमि

भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं, जो 1950 के दशक से प्रारंभ हुए। इन संबंधों को औपचारिक रूप से मजबूत करने के लिए 2000 में वार्षिक सम्मेलन प्रणाली की शुरुआत की गई थी। यह सम्मेलन दोनों देशों के बीच नियमित संवाद और सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है।


उद्देश्यों

सामरिक साझेदारी: भारत और रूस के बीच सामरिक साझेदारी को बढ़ावा देना और रक्षा, सुरक्षा, और अंतरराष्ट्रीय मामलों में सहयोग को मजबूत करना।


आर्थिक सहयोग: व्यापार, निवेश, ऊर्जा, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग को बढ़ाना।


सांस्कृतिक आदान-प्रदान: सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और लोगों के बीच संपर्क को मजबूत करना।


वैश्विक मुद्दे: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग करना और वैश्विक मुद्दों पर समन्वय बनाना।


प्रमुख क्षेत्र

रक्षा और सुरक्षा: भारत और रूस के बीच रक्षा उपकरणों की खरीद, संयुक्त सैन्य अभ्यास, और रक्षा तकनीकी सहयोग पर महत्वपूर्ण समझौते होते हैं।


ऊर्जा: ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग, विशेष रूप से तेल, गैस, और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में, दोनों देशों के संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


विज्ञान और प्रौद्योगिकी: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएँ और नवाचार साझेदारियाँ होती हैं।


व्यापार और निवेश: व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए दोनों देश विभिन्न नीतिगत सुधारों और परियोजनाओं पर सहमति बनाते हैं।


प्रमुख सम्मेलन

2010: नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में परमाणु ऊर्जा और रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण समझौते हुए।


2014: मॉस्को में आयोजित सम्मेलन में "मेक इन इंडिया" पहल के तहत रक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।


2018: नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने और विशेष आर्थिक क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।


2021: दोनों देशों ने कोविड-19 महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की।