राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट)

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) का उदय 2023 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के भीतर नेतृत्व और विचारधारात्मक मतभेदों के परिणामस्वरूप हुआ। महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में जुलाई 2023 में विभाजन हुआ, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने अपने समर्थकों के साथ अलग गुट बना लिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन कर लिया।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) Nationalist Congress Party (Ajit Pawar Faction)


विभाजन का कारण

एनसीपी में विभाजन का प्रमुख कारण पार्टी नेतृत्व और सत्ता में साझेदारी को लेकर उभरे मतभेद थे। अजित पवार, जो शरद पवार के भतीजे हैं, ने पार्टी में युवा नेतृत्व और नई राजनीतिक दिशा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट) सरकार में शामिल होकर डिप्टी मुख्यमंत्री पद स्वीकार किया, जिससे पार्टी के भीतर विवाद और विभाजन बढ़ गया। अजित पवार का तर्क था कि महाराष्ट्र में स्थिरता और विकास के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करना आवश्यक है, जबकि शरद पवार ने इस कदम को पार्टी की मूल विचारधारा से समझौता माना।


प्रमुख नेता

अजित पवार गुट के प्रमुख नेता स्वयं अजित पवार हैं, जो महाराष्ट्र के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। इसके अलावा, पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और विधायक उनके समर्थन में शामिल हुए, जिनमें छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, धनंजय मुंडे, और कुछ अन्य प्रमुख नेता शामिल हैं। इन नेताओं का मत था कि भाजपा के साथ जुड़ने से महाराष्ट्र में प्रशासनिक स्थिरता और विकास को गति मिलेगी।


राजनीतिक विचारधारा और नीति

अजित पवार गुट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की मूल समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से कुछ भिन्न रुख अपनाया है। उनका मानना है कि महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन करने से राज्य के विकास को बल मिलेगा। इस गुट का रुख अधिक व्यावहारिक और सत्ता-संरक्षण के प्रति झुका हुआ माना जाता है। पार्टी के इस धड़े ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के साथ जारी विचारधारात्मक भिन्नताओं के बावजूद, राज्य में प्रशासनिक स्थिरता की आवश्यकता को प्राथमिकता दी है।


गठबंधन और सरकार में भूमिका

अजित पवार गुट ने भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ गठबंधन किया और महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गया। अजित पवार ने डिप्टी मुख्यमंत्री का पद संभाला, जबकि उनके गुट के अन्य नेताओं को भी मंत्री पद प्राप्त हुए। इस गठबंधन को महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया, लेकिन इस कदम ने एनसीपी के मूल समर्थकों में विचारधारा को लेकर सवाल खड़े किए।


चुनौतियाँ और आलोचना

अजित पवार गुट को एनसीपी के भीतर और बाहर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। शरद पवार और उनके समर्थकों ने इस गुट की आलोचना की और इसे एनसीपी की विचारधारा से समझौता करार दिया। अजित पवार पर आरोप लगा कि उन्होंने सत्ता के लिए पार्टी की मूल समाजवादी सिद्धांतों से समझौता किया। इसके अलावा, इस विभाजन ने एनसीपी समर्थकों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न की और पार्टी की पहचान और भविष्य पर प्रश्नचिह्न खड़े किए।


गुट के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव

अजित पवार गुट ने अपनी संगठनात्मक संरचना को नया रूप देने की कोशिश की। इस गुट ने एनसीपी की पुरानी संगठनात्मक प्रणाली को अपनाने के बजाय, अधिक व्यावहारिक नीतियों और संरचना को अपनाने पर ध्यान केंद्रित किया। पार्टी में राज्य और जिला स्तर पर नए पदाधिकारी नियुक्त किए गए, जिनमें भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के गठबंधन के तहत स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल बनाने की कोशिश की गई।


वर्तमान स्थिति और भविष्य

अजित पवार गुट फिलहाल महाराष्ट्र सरकार में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में कार्य कर रहा है। उनका उद्देश्य महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के साथ मिलकर सत्ता को बनाए रखना और राज्य के विकास को आगे बढ़ाना है। इसके बावजूद, पार्टी के भीतर और बाहर से आलोचना और मतभेद बरकरार हैं। इस गुट का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि महाराष्ट्र के लोग उनके गठबंधन को किस दृष्टि से देखते हैं और आने वाले चुनावों में जनता का रुझान किस तरफ जाता है।


निष्कर्ष

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अजित पवार गुट महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई धारा के रूप में उभर कर सामने आया है। इस गुट ने अपनी सत्ता और नीति को प्राथमिकता देते हुए एनसीपी से अलग राह चुनी। जहां एक ओर इस कदम को राज्य की राजनीतिक स्थिरता और विकास के लिए सकारात्मक माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर एनसीपी समर्थकों और शरद पवार के अनुयायियों द्वारा इसकी आलोचना हो रही है। आगामी चुनावों और राजनीतिक घटनाक्रमों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अजित पवार गुट महाराष्ट्र की राजनीति में किस तरह अपनी भूमिका को बनाए रखता है।