एफआईआई (FII) विदेशी संस्थागत निवेशक FII (Foreign Institutional Investor)

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआई) एक ऐसा निवेशक होता है जो विदेशों से निवेश करने के लिए भारतीय वित्तीय बाजार में उपलब्ध होता है। ये निवेशक अक्सर अलग-अलग प्रकार के निवेश के जरिए शेयर और बोंड खरीदते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों का मुख्य उद्देश्य अधिकांशतः लाभ कमाना होता है, लेकिन वे बाजार की निर्मिति में भी योगदान करते हैं।


एफआईआई (FII) विदेशी संस्थागत निवेशक FII (Foreign Institutional Investor)


एफआई का प्रभाव

विदेशी संस्थागत निवेशकों का भारतीय बाजार पर बड़ा प्रभाव होता है। इनके निवेश से बाजार की लिक्विडिटी में वृद्धि होती है और उद्यमिता को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, एफआई के निवेश से विभिन्न क्षेत्रों में नए प्रोजेक्ट्स की विकास में निवेश की गति बढ़ती है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों के प्रकार

एफआई को तीन विभिन्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. फोरेन फंड्स: ये विदेशी मुद्रा में निवेश करने वाले निवेशक होते हैं।
  2. फोरेन पेंशन फंड्स: ये पेंशन योजनाओं के लिए निवेश करने वाले निवेशक होते हैं।
  3. फोरेन उत्पादक: ये अन्य विदेशी फंड और बैंक होते हैं जो निवेश के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश करते हैं।

संदर्भ

विदेशी संस्थागत निवेशकों का भारतीय बाजार पर व्यापक प्रभाव होता है। इनके निवेश से बाजार की गतिशीलता बढ़ती है और नए उत्पादों और सेवाओं की विकास दर पर वृद्धि होती है। इसके अलावा, ये निवेशक अक्सर बाजार के निर्धारित उतार-चढ़ाव में मदद करते हैं और अनुभवी निवेशकों के लिए अच्छे विकल्प प्रदान करते हैं।