जीएसटी काउंसिल (GST Council)

जीएसटी काउंसिल (GST Council) भारत सरकार द्वारा गठित एक संवैधानिक निकाय है, जिसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित मामलों पर निर्णय लेने के लिए स्थापित किया गया है। इसका गठन 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू करने के साथ हुआ था। जीएसटी काउंसिल का उद्देश्य देशभर में एक समान टैक्स प्रणाली को लागू करना और राज्यों व केंद्र के बीच समन्वय स्थापित करना है।


जीएसटी काउंसिल (GST Council)


स्थापना और संरचना

जीएसटी काउंसिल की स्थापना संविधान (101वां संशोधन) अधिनियम, 2016 के माध्यम से की गई। इसके अध्यक्ष भारत के वित्त मंत्री होते हैं और इसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री या उनके प्रतिनिधि सदस्य होते हैं। काउंसिल के निर्णय 75% बहुमत से लिए जाते हैं, जिसमें केंद्र सरकार का वोट 1/3 और सभी राज्यों का मिलाकर 2/3 होता है।


कार्य और जिम्मेदारियां

जीएसटी काउंसिल का मुख्य कार्य जीएसटी की दरों, छूटों, और नियमों का निर्धारण करना है। इसके तहत निम्नलिखित जिम्मेदारियां आती हैं:

  1. विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरें तय करना।
  2. टैक्स से छूट प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं की सूची निर्धारित करना।
  3. जीएसटी लागू करने के लिए आवश्यक नियम और प्रक्रियाएं तय करना।
  4. राज्यों और केंद्र के बीच टैक्स राजस्व का विभाजन करना।


बैठकें और निर्णय

जीएसटी काउंसिल नियमित रूप से बैठकें करती है, जिसमें जीएसटी से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लिए जाते हैं। अब तक काउंसिल की कई बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं जैसे कि टैक्स दरों में संशोधन, नई कर दरों का निर्धारण और टैक्स छूटें।


प्रमुख निर्णय

जीएसटी काउंसिल ने अपने गठन के बाद से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं:

  1. टैक्स स्लैब: 5%, 12%, 18%, और 28% के चार प्रमुख टैक्स स्लैब तय किए गए हैं।
  2. कंपोजिशन स्कीम: छोटे व्यापारियों और सेवाप्रदाताओं के लिए कंपोजिशन स्कीम लागू की गई है।
  3. ई-वे बिल: माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल प्रणाली लागू की गई है।
  4. टैक्स रेट में संशोधन: विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स दरों में संशोधन किए गए हैं।


चुनौतियाँ और भविष्य

जीएसटी काउंसिल के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि राज्यों के राजस्व में कमी, नई दरों का निर्धारण, और कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना। काउंसिल का लक्ष्य है कि वह इन चुनौतियों का समाधान करे और जीएसटी प्रणाली को और अधिक प्रभावी और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाए।