संसद लोकतांत्रिक व्यवस्था का वह प्रमुख अंग है जहाँ देश के नागरिकों का प्रतिनिधित्व होता है। यह कानून बनाने, नीतियों पर चर्चा करने, सरकार की जवाबदेही तय करने और नागरिकों के हितों की रक्षा करने का सर्वोच्च मंच है। भारत में, संसद भारतीय गणराज्य की सर्वोच्च विधायिका है और यह द्विसदनीय संरचना पर आधारित है।
संरचना
भारतीय संसद तीन घटकों से मिलकर बनी है:
राष्ट्रपति : संविधान के अनुसार राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है। राष्ट्रपति कानूनों को मंजूरी देने, विधेयकों पर सहमति देने और विशेष परिस्थितियों में अध्यादेश जारी करने की शक्ति रखते हैं।
लोकसभा (निचला सदन) : इसे 'जनप्रतिनिधियों का सदन' कहा जाता है। इसमें देशभर से चुने गए प्रतिनिधि होते हैं। इसका कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है।
राज्यसभा (उच्च सदन) : इसे 'स्थायी सदन' भी कहा जाता है क्योंकि यह कभी भंग नहीं होती। इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त होते हैं।
कार्य और भूमिका
संसद का मुख्य उद्देश्य कानून बनाना, सरकार के कामकाज की समीक्षा करना और नागरिकों के हितों की रक्षा करना है। इसके प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
विधायी कार्य : संसद विभिन्न विषयों पर कानून बनाती है। इसे संविधान की सूची में उल्लिखित केंद्र और समवर्ती विषयों पर अधिकार है।
वित्तीय कार्य : बजट पारित करना, कर प्रस्तावों की स्वीकृति और वित्तीय नीतियों का निर्धारण संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
सरकार की जवाबदेही तय करना : मंत्रिपरिषद, प्रधानमंत्री सहित, संसद के प्रति उत्तरदायी है। प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव इसके माध्यम हैं।
संविधान संशोधन : संसद को संविधान में संशोधन का अधिकार है।
संसद सत्र
भारतीय संसद वर्ष में तीन सत्र आयोजित करती है:
बजट सत्र : यह साल का पहला सत्र होता है, जिसमें वार्षिक बजट पेश और पारित किया जाता है।
मानसून सत्र : जुलाई-अगस्त में आयोजित यह सत्र विभिन्न विधायी और नीतिगत चर्चाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है।
शीतकालीन सत्र : यह नवंबर-दिसंबर में आयोजित होता है।
लोकसभा और राज्यसभा में अंतर
लोकसभा राज्यसभा
प्रत्यक्ष चुनाव से चुने गए सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने गए सदस्य
543 सदस्य (2 मनोनीत) अधिकतम 250 सदस्य (12 मनोनीत)
कार्यकाल 5 वर्ष स्थायी सदन
वित्त विधेयक लोकसभा में पेश होता है राज्यसभा को वित्त विधेयक में सीमित अधिकार हैं
इतिहास
भारतीय संसद की जड़ें ब्रिटिश काल में हैं। भारत में आधुनिक संसदीय प्रणाली की शुरुआत 1858 के भारत सरकार अधिनियम और 1919 व 1935 के अधिनियमों से हुई। स्वतंत्रता के बाद, 1950 में भारतीय संविधान लागू होने पर संसद का गठन हुआ। पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था।
महत्व और चुनौतियाँ
संसद भारत के लोकतंत्र का केंद्र है, लेकिन इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे:
संसद में व्यवधान और हंगामा
विधेयकों पर अपर्याप्त चर्चा
प्रतिनिधित्व में विविधता की कमी
निष्कर्ष
भारतीय संसद देश की लोकतांत्रिक संरचना का एक मजबूत स्तंभ है। यह न केवल कानून बनाने का मंच है, बल्कि यह राष्ट्रीय नीति निर्धारण और सरकार की जिम्मेदारी तय करने का माध्यम भी है। संसदीय प्रक्रिया का सुदृढ़ और प्रभावी होना देश की प्रगति के लिए अनिवार्य है।