वेतन आयोग भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति होती है, जिसका कार्य केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों, सशस्त्र बलों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों और अन्य लाभों की समीक्षा करना और आवश्यक सुधारों की सिफारिश करना होता है। यह आयोग समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे को आधुनिक बनाने और जीवनयापन की बढ़ती लागत के अनुरूप वेतन वृद्धि की अनुशंसा करने के लिए स्थापित किया जाता है।
इतिहास और गठन
भारत में पहला वेतन आयोग 1946 में गठित किया गया था। तब से लेकर अब तक कुल आठ वेतन आयोगों का गठन हो चुका है, और प्रत्येक आयोग ने सरकार को अपनी सिफारिशें दी हैं, जिन्हें आमतौर पर कार्यान्वित किया जाता है। प्रत्येक वेतन आयोग को औसतन 10 वर्षों के अंतराल पर स्थापित किया जाता है।
वेतन आयोगों की सूची
वेतन आयोग गठन का वर्ष अध्यक्ष प्रमुख सिफारिशें लागू होने का वर्ष
पहला (1st) 1946 श्रीकृष्णन न्यूनतम वेतन तय किया गया 1946
दूसरा (2nd) 1957 जगन्नाथ दास वेतनमान में सुधार की सिफारिश 1959
तीसरा (3rd) 1970 आर. एन. गायकवाड़ महंगाई भत्ते की शुरुआत 1973
चौथा (4th) 1983 पी. एन. सिंघल वेतन में 27% की वृद्धि 1986
पाँचवाँ (5th) 1994 सेठी 40% वेतन वृद्धि की सिफारिश 1997
छठा (6th) 2005 बी. एन. श्रीकृष्ण वेतन में 35% की वृद्धि 2008
सातवाँ (7th) 2013 ए. के. माथुर न्यूनतम वेतन ₹18,000 किया गया 2016
आठवाँ (8th) 2024 (अपेक्षित) TBD वेतन में 14,000-19,000 की वृद्धि संभावित 2026 (अपेक्षित)
कार्य और उद्देश्य
वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित कार्यों पर विचार करना और अपनी सिफारिशें देना होता है:
- वेतन संरचना का निर्धारण – कर्मचारियों के वेतन को महंगाई और आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप बनाना।
- भत्तों और सुविधाओं की समीक्षा – मकान किराया भत्ता (HRA), यात्रा भत्ता (TA), चिकित्सा सुविधाएं आदि का निर्धारण।
- पेंशन योजनाओं में सुधार – सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन और ग्रेच्युटी को समायोजित करना।
- विभिन्न स्तरों के कर्मचारियों की आवश्यकताओं का आकलन – ग्रुप A, B, C, D के कर्मचारियों के लिए वेतनमान तय करना।
- महंगाई भत्ते (DA) की समीक्षा – इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर संशोधित किया जाता है।
वेतन आयोग का प्रभाव
वेतन आयोग की सिफारिशें न केवल केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर प्रभाव डालती हैं, बल्कि राज्य सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) पर भी इसका असर पड़ता है। कई राज्य सरकारें केंद्र द्वारा लागू वेतन आयोग की सिफारिशों को अपनाती हैं, जिससे कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होती है।
आर्थिक प्रभाव:
- सरकारी खर्च में वृद्धि होती है, जिससे बजट पर प्रभाव पड़ता है।
- उच्च वेतन से उपभोक्ता खर्च बढ़ता है, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलती है।
- सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार होता है।
आठवाँ वेतन आयोग (8th Pay Commission)
वर्तमान में, 8वें वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया चल रही है, और इसके 2026-27 तक लागू होने की संभावना है। उम्मीद की जा रही है कि इससे केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में ₹14,000 से ₹19,000 तक की वृद्धि हो सकती है।