न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 51वें मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्होंने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ का स्थान ग्रहण किया और 11 नवंबर 2024 को मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ ली। न्यायमूर्ति खन्ना का न्यायिक करियर कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसलों से परिपूर्ण है, जिन्होंने भारतीय संविधान और नागरिक अधिकारों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
संजीव खन्ना का जन्म नई दिल्ली में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की और फिर कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। उनके परिवार में न्यायिक सेवा की मजबूत परंपरा रही है। उनके पिता न्यायमूर्ति देव राज खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे थे, और उनके चाचा, न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना, सर्वोच्च न्यायालय में अपने ऐतिहासिक फैसलों के लिए प्रसिद्ध हैं।
न्यायिक करियर
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की और बाद में 2005 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। अपनी न्यायिक कुशलता और संविधान के प्रति निष्ठा के कारण उन्हें 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
प्रमुख फैसले
न्यायमूर्ति खन्ना ने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण और संवैधानिक फैसलों में भाग लिया है। इनमें प्रमुख निर्णय शामिल हैं:
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता बनाए रखना: न्यायमूर्ति खन्ना ने ईवीएम की पारदर्शिता और विश्वसनीयता की रक्षा करने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले दिए।
- अनुच्छेद 370: जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मुद्दे पर खन्ना ने संविधान के अंतर्गत भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- चुनावी बॉन्ड योजना: इस योजना पर विचार करते हुए उन्होंने राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित किया।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल छोटा है, लेकिन उनके कुशल नेतृत्व और गहरी न्यायिक समझ से भारतीय न्यायपालिका में सुधार और पारदर्शिता की उम्मीद की जा रही है। मुख्य न्यायाधीश के रूप में, वे लंबित मामलों के समाधान के लिए तेजी से निपटारा, तकनीकी नवाचारों का समावेश और न्यायपालिका में जनता की पहुंच को सुलभ बनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
परिवार और निजी जीवन
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का परिवार भारतीय न्यायपालिका में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनके पिता, न्यायमूर्ति देव राज खन्ना, और चाचा, न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना, भारतीय न्यायपालिका में प्रसिद्ध न्यायाधीश रहे हैं। उनके चाचा हंसराज खन्ना आपातकाल के दौरान एक ऐतिहासिक अल्पमत निर्णय के लिए जाने जाते हैं, जिसमें उन्होंने व्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की थी।