सेंगोल (राजदंड) Sengol

सेंगोल एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का राजदंड है, जिसे भारतीय इतिहास में न्याय और निष्पक्ष शासन का प्रतीक माना जाता है। यह शब्द तमिल शब्द 'सेम्मई' से निकला है, जिसका अर्थ है 'नीतिपरायणता'। सेंगोल का निर्माण चांदी से होता है और इसके ऊपर सोने की परत चढ़ी होती है। इस राजदंड के शीर्ष पर भगवान शिव के वाहन नंदी महाराज की मूर्ति विराजमान होती है।

सेंगोल (Sengol)


इतिहास और महत्व

सेंगोल का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय गणराज्य की स्थापना से जुड़ा हुआ है। 15 अगस्त 1947 की आधी रात को, भारतीय स्वतंत्रता के समय, यह सेंगोल पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य आधीनम (पुरोहितों) ने प्रधानमंत्री नेहरू को सौंपा था। सेंगोल का उद्देश्य न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन की स्थापना को दर्शाना था।


संसद भवन में सेंगोल

2023 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, सेंगोल को नई संसद भवन में स्थापित किया गया। इसे लोकसभा चैम्बर में स्पीकर के आसन के निकट स्थापित किया गया है। इस स्थापना के समय वैदिक मंत्रोच्चार के बीच एक धार्मिक समारोह आयोजित किया गया था। सेंगोल को तमिलनाडु के विभिन्न अधीनमों के लगभग 30 पुरोहितों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा गया था। इसे स्थापित करने का उद्देश्य न्याय और निष्पक्षता के प्रतीक के रूप में इसे जनता के समक्ष प्रदर्शित करना था।


विवाद

सेंगोल की स्थापना के बाद, समाजवादी पार्टी के सांसद आर के चौधरी ने संसद भवन से इसे हटाने की मांग की। उनका तर्क था कि देश को संविधान से चलना चाहिए, न कि राजदंड से। इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। यह विवाद भारतीय राजनीति में लोकतांत्रिक मूल्यों और सांस्कृतिक प्रतीकों के महत्व पर बहस को पुनर्जीवित करता है।


संरचना

सेंगोल एक राजदंड है, जिसकी लंबाई लगभग पांच फीट होती है। इसे चांदी से बनाया गया है और उस पर सोने की परत चढ़ी होती है। इसके शीर्ष पर नंदी महाराज की मूर्ति होती है, जो भगवान शिव के वाहन माने जाते हैं। यह राजदंड तमिल संस्कृति और इतिहास में गहरा महत्व रखता है।


सांस्कृतिक महत्व

सेंगोल तमिल संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक माना जाता है, जो न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन की अवधारणा को दर्शाता है। इसे विशेष अवसरों पर जनता के सामने प्रदर्शित किया जाता है, ताकि लोग इसके महत्व को समझ सकें और इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सम्मानित कर सकें।


निष्कर्ष

सेंगोल भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसे न्याय और निष्पक्ष शासन की स्थापना का प्रतीक माना जाता है। संसद भवन में इसकी स्थापना ने इसे पुनः चर्चा में ला दिया है और इसके महत्व को नए सिरे से समझने का अवसर प्रदान किया है। सेंगोल भारतीय लोकतंत्र और न्याय प्रणाली के साथ-साथ तमिल संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का भी एक अभिन्न अंग है।