स्रोत पर कर कटौती (Tax Deducted at Source) TDS

स्रोत पर कर कटौती (TDS - Tax Deducted at Source) भारत में एक कराधान प्रणाली है, जिसके तहत किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा भुगतान किए जाने वाले कर को पहले ही स्रोत पर काट लिया जाता है। यह व्यवस्था कर चोरी को रोकने और सरकार को स्थिर राजस्व प्रदान करने के उद्देश्य से लागू की गई है।


स्रोत पर कर कटौती (Tax Deducted at Source) TDS


स्रोत पर कर कटौती (TDS) भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 के तहत प्रावधानित है। इस व्यवस्था के तहत, भुगतान करने वाले (कटौतीकर्ता) को निर्दिष्ट दर पर कर काटकर इसे सरकार को जमा करना आवश्यक होता है। भुगतान प्राप्त करने वाले (कटौती-प्राप्तकर्ता) को शेष राशि प्राप्त होती है, और कटे हुए कर की जानकारी उनके फॉर्म 26AS में परिलक्षित होती है।


TDS की आवश्यकता और उद्देश्य

TDS प्रणाली को लागू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • कर संग्रह की नियमितता – सरकार को कर समय पर प्राप्त होता है, जिससे राजस्व प्रवाह सुनिश्चित रहता है।
  • कर चोरी की रोकथाम – कर पहले ही काटे जाने से कर चोरी की संभावना कम हो जाती है।
  • असमान कर भुगतान की समस्या का समाधान – करदाताओं के लिए कर भुगतान को सरल और व्यवस्थित बनाना।
  • सरकारी संसाधनों की कुशलता – एकमुश्त कर भुगतान के बजाय मासिक या त्रैमासिक रूप से कर संग्रह करना आसान होता है।


TDS के तहत कटौती योग्य भुगतान

TDS विभिन्न प्रकार के भुगतानों पर लागू होता है, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख श्रेणियां शामिल हैं:


वेतन (Salaries) – नियोक्ता कर्मचारी के वेतन से कर काटकर सरकार को जमा करता है।

ब्याज आय (Interest Income) – बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा एफडी, आरडी आदि पर दिए गए ब्याज से TDS काटा जाता है।

डिविडेंड (Dividend) – कंपनियां अपने निवेशकों को भुगतान किए गए डिविडेंड पर TDS काटती हैं।

किराया (Rent) – ₹50,000 प्रति माह से अधिक के किराये पर TDS लागू होता है।

पेशेवर शुल्क (Professional Fees) – वकील, डॉक्टर, कंसल्टेंट आदि को किए गए भुगतान पर TDS काटा जाता है।

लॉटरी और गेमिंग (Lottery & Gaming) – लॉटरी, घुड़दौड़ और अन्य गेमिंग पुरस्कारों पर TDS लागू होता है।

इंश्योरेंस कमीशन (Insurance Commission) – बीमा एजेंटों को मिलने वाले कमीशन पर TDS लागू होता है।


TDS की दरें

TDS की दरें भुगतान की श्रेणी और प्राप्तकर्ता की कर योग्य स्थिति के आधार पर अलग-अलग होती हैं। कुछ प्रमुख दरें निम्नलिखित हैं:


भुगतान का प्रकार TDS दर (%)

  • वेतन (Salary) स्लैब के अनुसार
  • ब्याज आय (Interest)- 10%
  • किराया (Rent)-10% (संपत्ति), 2% (मशीनरी)
  • पेशेवर शुल्क (Professional Fees)- 10%
  • डिविडेंड (Dividend)- 10%
  • लॉटरी/गेमिंग (Lottery/Gaming)-30%


TDS कटौतीकर्ता और दायित्व


कटौतीकर्ता (Deductor) – जो भी व्यक्ति, कंपनी या संगठन भुगतान कर रहा है और उसे TDS काटना अनिवार्य है।

कटौती-प्राप्तकर्ता (Deductee) – वह व्यक्ति या संस्था, जिसे भुगतान किया जा रहा है और जिसका TDS काटा जा रहा है।

सरकार को जमा करना – कटौतीकर्ता को काटे गए TDS को निर्धारित समय-सीमा के भीतर सरकार के खाते में जमा करना आवश्यक होता है।

TDS रिटर्न दाखिल करना – कटौतीकर्ता को तिमाही आधार पर TDS रिटर्न दाखिल करना होता है, जिसमें कटौती और जमा किए गए कर का विवरण होता है।


TDS छूट और रिफंड

कुछ विशेष स्थितियों में व्यक्ति या संगठन TDS कटौती से छूट प्राप्त कर सकते हैं:


  1. फॉर्म 15G/15H – अगर किसी व्यक्ति की कुल आय कर-मुक्त सीमा के अंतर्गत आती है, तो वह बैंक को फॉर्म 15G/15H देकर TDS छूट प्राप्त कर सकता है।
  2. रिफंड प्रक्रिया – यदि किसी करदाता का TDS ज्यादा कटा है और उसकी कुल कर देनदारी कम है, तो वह इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल कर रिफंड प्राप्त कर सकता है।


TDS प्रमाणपत्र और फॉर्म

TDS से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण फॉर्म निम्नलिखित हैं:


  1. फॉर्म 16 – वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए जारी किया जाने वाला TDS प्रमाणपत्र।
  2. फॉर्म 16A – अन्य आय स्रोतों (ब्याज, कमीशन आदि) पर काटे गए TDS के लिए।
  3. फॉर्म 26AS – करदाता के PAN से जुड़े सभी TDS कटौती का समग्र विवरण दिखाने वाला स्टेटमेंट।
  4. फॉर्म 15G/15H – TDS छूट के लिए जमा किए जाने वाले फॉर्म।


नवीनतम बदलाव (2025)


केंद्रीय बजट 2025 में TDS से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • म्यूचुअल फंड और स्टॉक्स पर TDS लिमिट – अब 5,000 रुपये की जगह 10,000 रुपये की आय तक कोई TDS नहीं लगेगा।
  • सीनियर सिटीजन के लिए छूट – अब बैंक में जमा राशि से 1 लाख रुपये तक की ब्याज आय पर कोई TDS नहीं काटा जाएगा।
  • आम नागरिकों के लिए बढ़ी छूट – 50,000 रुपये तक की ब्याज आय पर TDS नहीं लगेगा।
  • लॉटरी और गेमिंग इनकम – TDS अब केवल तभी काटा जाएगा जब सिंगल ट्रांजैक्शन 10,000 रुपये से ज्यादा हो।