समान नागरिक संहिता भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता की अपेक्षा को दर्शाता है। यह एक ऐसा कानून होता है जो सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक समान संविधान प्रदान करता है, जिससे समान न्याय और अधिकार सुनिश्चित होते हैं।
समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव भारतीय संविधान के अन्तर्गत है, जिसे नागरिक बनाम राज्य के साथ लागू किया जाना है। यह संविधान में विशेष उल्लेख दिया गया है कि भारतीय समाज में सामान्य नागरिक निर्मित हो, और इसलिए एक समान नागरिक संहिता की आवश्यकता होती है।
उद्देश्य
समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज में समानता, न्याय, और एकता को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य विभाजित समाज को एकत्रित करना है और विभिन्न सामाजिक और धार्मिक समुदायों के बीच संघर्षों को समाप्त करना है।
विवाद
समान नागरिक संहिता पर विवाद उठा है क्योंकि इसे धार्मिक समुदायों के स्थानीय और पारंपरिक कानूनों के खिलाफ माना जाता है। कुछ धार्मिक समुदायों का दावा है कि वे अपनी संस्कृति, धर्म, और अनुयायियों की सुरक्षा के लिए विशेष कानूनों की आवश्यकता है।
समान नागरिक संहिता को लेकर विवाद जारी है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है भारतीय समाज के विकास और सामान्यत: न्याय की प्राप्ति की दिशा में। इसे संविधान में सम्मिलित करने की कोशिश की जा रही है ताकि एक समृद्ध, समान और एकीकृत समाज का निर्माण किया जा सके।