जाकिर हुसैन (9 मार्च 1951 – 11 दिसंबर 2024) भारतीय संगीत की दुनिया में एक प्रतिष्ठित तबला वादक और संगीतकार थे। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। अपने बेहतरीन तबला वादन और संगीत के लिए उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जाकिर हुसैन को भारतीय संगीत के प्रतीक और तबला वादन की कला को एक नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ था। वे प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा के पुत्र थे। उन्होंने बचपन से ही संगीत का अभ्यास शुरू कर दिया था और अपने पिता के मार्गदर्शन में तबला वादन की बारीकियां सीखीं। सात साल की उम्र में उन्होंने पहली बार मंच पर प्रस्तुति दी और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
संगीत करियर
जाकिर हुसैन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ फ्यूजन संगीत में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने पंडित रविशंकर, उस्ताद अमजद अली खान, और शिवकुमार शर्मा जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ मंच साझा किया।
उनकी कला केवल शास्त्रीय संगीत तक सीमित नहीं रही; उन्होंने पश्चिमी संगीतकारों के साथ भी कई प्रयोग किए। उनका "ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट" और "शक्ति" जैसे संगीत समूहों के साथ जुड़ाव उनके फ्यूजन संगीत के प्रति झुकाव को दर्शाता है। इसके अलावा, उन्होंने कुछ प्रसिद्ध फिल्मों के लिए भी संगीत रचना की, जिनमें "हीट एंड डस्ट" और "इन कस्टडी" शामिल हैं।
पुरस्कार और सम्मान
जाकिर हुसैन को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं:
- पद्मश्री (1988)
- पद्मभूषण (2002)
- पद्मविभूषण (2023)
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1990)
- ग्रैमी पुरस्कार: उन्हें चार बार ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, और कुल सात बार नामांकित हुए।
व्यक्तिगत जीवन
जाकिर हुसैन का विवाह कत्थक नृत्यांगना अंतोनिया मिने (कुनिका) से हुआ था। उनके दो बेटियां हैं, अंजली और ईवा। उन्होंने अपने जीवन में पारिवारिक और पेशेवर जिम्मेदारियों का संतुलन बनाए रखा।
निधन
जाकिर हुसैन का निधन 11 दिसंबर 2024 को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में हुआ। वे पिछले कुछ समय से इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन से भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
विरासत
जाकिर हुसैन ने भारतीय और विश्व संगीत में जो योगदान दिया, वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनकी तबला वादन शैली और संगीत के प्रति समर्पण उन्हें संगीत प्रेमियों के दिलों में हमेशा अमर बनाए रखेगा।