सारांश : सुप्रीम कोर्ट ने EVM-VVPAT वोट वेरिफिकेशन मामले पर चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे हैं। यहां जानिए मामले की विस्तृत सुनवाई का सारांश।
ईवीएम-वीवीपीएटी (EVM-VVPAT) वोट वेरिफिकेशन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे हैं। आज याचिकाओं और आवेदनों पर निर्देश जारी होने की संभावना है। ADR की तरफ से वकील प्रशांत भूषण और कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ EVM का उपयोग करके डाले गए वोटों की क्रॉस-वेरिफिकेशन की मांग करने वाली याचिकाओं और आवेदनों पर निर्देश जारी करने की संभावना है। शीर्ष अदालत आवेदन दाखिल करने वाले पक्षकारों की दलीलों पर भी गौर कर सकती है। वीवीपीएटी एक स्वतंत्र वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है, जिसमें वोटर यह देख सकता है कि उनका वोट सही तरीके से पड़ा है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि तीन से चार स्पष्टीकरण चाहिए, जिनमें शामिल हैं माइक्रो कंट्रोलर, सिंबल लेबल यूनिट, चुनाव आवेदन की समय सीमा, ईवएम सहेजने की समय सीमा, और चिप के संबंध में जानकारी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से इसका जवाब मांगा है। मामले में दो बजे फिर सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में व्यक्त किया कि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता होनी चाहिए और लोगों को भरोसा होना चाहिए। चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि EVM सिस्टम में तीन घटक होते हैं - बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट, और वीवीपैट। यह वीवीपैट मशीनें पहली बार 2014 के लोकसभा चुनावों में पेश की गई थीं और यह मूल रूप से EVM से जुड़ी एक मतपत्र-रहित वोट सत्यापन प्रणाली है।
वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि EVM ऐसी मशीनें हैं जिनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, लेकिन मानवीय त्रुटि की संभावना हमेशा रहती है। विपक्ष इंडिया गठबंधन ने भी वीवीपैट की 100 फीसदी गिनती की मांग की है ताकि लोगों में भरोसा बढ़े।
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