सारांश :भारत में 19 वर्षों में पहली बार रोजगार सृजन में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। मई से जून के बीच परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का एक महत्वपूर्ण संकेत है।
भारत ने रोजगार सृजन के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। संसद में चल रही हंगामेदार बहसों के बीच, यह महत्वपूर्ण खबर कहीं दब सी गई। सोमवार को संसद सत्र में नीट और हिन्दुत्व को लेकर छिड़ी बहस के कारण, शायद ही किसी का ध्यान इस उपलब्धि की ओर गया हो। एसबीसी (HSBC) के अनुसार, भारत ने 19 वर्षों में रोजगार सृजन के उच्चतम स्तर को छू लिया है।
एसबीसी का डेटा:
एसबीसी ने 2005 से रोजगार सृजन के आंकड़े जुटाने शुरू किए थे। तब से लेकर अब तक, भारत में रोजगार सृजन में 50% से अधिक की वृद्धि हुई है। HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) ने मई के 57.5 अंक से जून में 58.3 अंक पर पहुंचकर नया रिकॉर्ड कायम किया है। यह वृद्धि स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भारतीय कंपनियों ने तेजी से भर्ती की है और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
रोजगार सृजन में तेजी:
परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) में 50 से अधिक का अंकण बढ़ोतरी का संकेत देता है, जबकि 50 से कम का अंकण कमी का संकेत है। जून में PMI का बढ़ना यह दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। 2005 से एकत्रित डेटा से स्पष्ट होता है कि मैन्युफैक्चरिंग फर्मों ने बड़े पैमाने पर भर्ती की है और यह 19 वर्षों का उच्चतम स्तर है।
परचेजिंग पावर में भी वृद्धि:
सिर्फ रोजगार सृजन में ही नहीं, परचेजिंग पावर में भी वृद्धि दर्ज की गई है। कंपनियों के भर्ती के प्रयास और बढ़ती खरीद शक्ति भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाते हैं। यह रिकॉर्ड इजाफा यह संकेत देता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तरक्की हो रही है और आने वाले समय में और भी अच्छे अवसर मिल सकते हैं।
नीट और हिन्दुत्व विवाद के बीच खोई उपलब्धि:
संसद सत्र में नीट और हिन्दुत्व को लेकर छिड़ी बहस में यह महत्वपूर्ण उपलब्धि कहीं खो गई। लेकिन, यह स्पष्ट है कि भारत ने रोजगार सृजन के मामले में ऐतिहासिक प्रगति की है। संसद में हो रहे विवादों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी मजबूती का प्रमाण दिया है।
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