सारांश: 18 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट को दो नए न्यायाधीश मिले। मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर. महादेवन और जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नोंगमईकापम कोटिस्वर सिंह ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से शपथ ग्रहण की। दोनों की पदोन्नति को 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर मंजूरी दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के लिए 18 जुलाई 2024 का दिन ऐतिहासिक रहा, जब न्यायमूर्ति आर. महादेवन और न्यायमूर्ति नोंगमईकापम कोटिस्वर सिंह ने न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दोनों को शपथ दिलाई। इस महत्वपूर्ण अवसर ने न्यायपालिका में विविधता और न्यायिक कार्यों के प्रति समर्पण को नए आयाम दिए।
न्यायमूर्ति आर. महादेवन:
आर. महादेवन, जो मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थे, ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नई भूमिका संभाली। तमिलनाडु के एक पिछड़े समुदाय से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति महादेवन ने अपने करियर में मद्रास उच्च न्यायालय में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने 2013 में पहली बार न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति पाई थी और तब से मद्रास उच्च न्यायालय में अपनी सेवाएं दी हैं।
न्यायमूर्ति महादेवन का न्यायिक कार्यकाल तब चर्चा में आया जब उन्होंने फरवरी 2023 में आरएसएस के प्रस्तावित राज्यव्यापी मार्च पर शर्तें लगाने वाले आदेश को खारिज किया। उनकी यह निर्णय समाज में न्याय और संतुलन के प्रतीक के रूप में देखा गया।
न्यायमूर्ति नोंगमईकापम कोटिस्वर सिंह:
मणिपुर के मूल निवासी न्यायमूर्ति कोटिस्वर सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। वे मणिपुर से सर्वोच्च न्यायालय के पहले न्यायाधीश बने। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल न्यायिक सेवा में उनकी विशिष्टता को दर्शाता है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनकी सिफारिश करते समय पीठ में विविधता के महत्व पर जोर दिया था। न्यायमूर्ति कोटिस्वर सिंह की नियुक्ति ने मणिपुर के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या:
इन दोनों न्यायाधीशों की नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 34 हो गई है। यह संख्या न्यायिक प्रक्रियाओं को और अधिक सशक्त बनाने में सहायक होगी। कॉलेजियम ने यह भी कहा कि इन न्यायाधीशों की नियुक्ति से बेंच में विविधता बढ़ेगी, जो न्यायिक प्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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