सारांश:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन युद्ध के बाद पहली बार रूस की यात्रा पर गए हैं। इस यात्रा का उद्देश्य 22वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में भाग लेना है। यात्रा के दौरान, दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा सहयोग और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। पश्चिमी देशों की नजर इस यात्रा पर टिकी हुई है, खासकर क्योंकि इस समय अमेरिका में नाटो समिट भी हो रहा है।


पीएम मोदी की रूस यात्रा: वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण कदम, पश्चिमी देशों की नजर


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय रूस यात्रा पर रवाना हो गए हैं, जहां वे 22वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में भाग लेंगे। यह यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह यूक्रेन युद्ध के बाद उनकी पहली रूस यात्रा है। पीएम मोदी सोमवार दोपहर तक रूस पहुंच जाएंगे। इस यात्रा के दौरान, मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।


पश्चिमी देशों की चिंता

मोदी की इस यात्रा पर पश्चिमी देशों की विशेष नजर है। खासकर अमेरिका में चल रहे नाटो समिट के बीच इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ गया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि मोदी की रूस यात्रा का नाटो समिट से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, पश्चिमी देश इसे ईर्ष्या की नजर से देख रहे हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने भी इस बात की पुष्टि की है।


व्यापारिक संबंधों पर चर्चा

यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए, लेकिन इसके बावजूद भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू कर दिया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत और रूस के बीच 54 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ। हालांकि, इस व्यापार में असमानता है, जिसे संतुलित करने पर दोनों नेता चर्चा करेंगे। भारत के विदेश सचिव विनय मोहन ने बताया कि इस बैठक में व्यापार असमानता के मुद्दे पर भी चर्चा होगी।


रक्षा सहयोग में मजबूती

भारत और रूस के बीच 2018 में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डील हुई थी, जिसकी डिलीवरी 2023 में होनी थी। लेकिन, यूक्रेन युद्ध के कारण इसमें देरी हो गई। इस दौरे के दौरान, पीएम मोदी और पुतिन के बीच एस-400 सिस्टम की डिलीवरी पर भी बातचीत हो सकती है। इसके अलावा, दोनों देश नए ट्रेड रूट पर भी चर्चा करेंगे, जिसमें ईरान के चाबहार पोर्ट का महत्वपूर्ण योगदान होगा।


चाबहार पोर्ट और नए ट्रेड रूट

भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट को 10 साल के लिए लीज पर लिया है, जिससे सेंट्रल एशिया होते हुए रूस के साथ नए ट्रेड रूट शुरू किए जा सकें। इस पोर्ट की मदद से भारत ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। इस पहल से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और मजबूत होंगे।


रक्षा उद्योग में सहयोग

रूस की डिफेंस कंपनी रोस्टेक ने भारत में मैंगो मिसाइल की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है। इस डील के फाइनल होने के बाद भारत की सैन्य ताकत में इजाफा होगा। रोस्टेक ने बताया कि वह भारत में बारूद के उत्पादन को लेकर भी प्लान बना रही है। इससे दोनों देशों के रक्षा सहयोग में और मजबूती आएगी।


भविष्य की संभावनाएं

पीएम मोदी की रूस यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच वर्तमान संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि भविष्य के लिए नए रास्ते भी खोलेगी। व्यापार, रक्षा, और रणनीतिक सहयोग के साथ-साथ, इस यात्रा से वैश्विक राजनीति में भी महत्वपूर्ण संकेत मिलेंगे। पश्चिमी देशों की नजर इस यात्रा पर टिकी हुई है, और इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर भी देखा जाएगा।

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