गुजरात में चांदीपुरा वायरस के बढ़ते प्रकोप से 5 दिनों में 6 बच्चों की मौत हो गई है। स्वास्थ्य विभाग सतर्क है और लोगों से सावधानी बरतने की अपील की गई है। यह वायरस मच्छर और मक्खियों के काटने से फैलता है और अधिकतर बच्चों को प्रभावित करता है।

Gujarat में Chandipura Virus का प्रकोप: 6 बच्चों की मौत, जानिए Virus की गंभीरता

गुजरात में चांदीपुरा वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। हिम्मतनगर अस्पताल में चांदीपुरा वायरस से 6 बच्चों की मौत हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है।


चांदीपुरा वायरस के संक्रमण के बढ़ते खतरे से गुजरात में लोगों के बीच डर का माहौल है। राज्य का स्वास्थ्य विभाग वायरस के प्रति अलर्ट है। सोमवार को हिम्मतनगर अस्पताल में 6 बच्चों की मौत के बाद आसपास के राज्यों में भी दहशत फैल गई है। कोरोना वायरस के अनुभव से लोग अब 'वायरस' शब्द से ही घबरा जाते हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि चांदीपुरा वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहने की आवश्यकता है।


गुजरात में चांदीपुरा वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। शुरू में इसके चार मामले एक ही अस्पताल में सामने आए थे, लेकिन अब इनकी संख्या दस से अधिक हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि राज्य में पिछले 5 दिनों में संदिग्ध चांदीपुरा वायरस से 6 बच्चों की मौत हो गई है, जिससे संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। इन मामलों में 4 साबरकांठा जिले से, 3 अरावली से, 1-1 महिसागर और खेड़ा से, 2 राजस्थान से और 1 मध्य प्रदेश से है।


चांदीपुरा वायरस के केस इस महीने ही सामने आए हैं। हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञों ने 10 जुलाई को 4 बच्चों की मौत का कारण चांदीपुरा वायरस होने का संदेह जताया था। इसके बाद डॉक्टरों ने पुष्टि के लिए नमूने एनआईवी भेजे। बाद में अस्पताल में चार और बच्चों में इसी तरह के लक्षण दिखे, तब स्वास्थ्य विभाग ने जांच का दायरा बढ़ाया। स्वास्थ्य मंत्री पटेल ने कहा, "चांदीपुरा वायरस संक्रामक नहीं है। हालांकि, प्रभावित क्षेत्रों में गहन निगरानी की गई है। हमने 4,487 घरों में 18,646 लोगों की जांच की है। स्वास्थ्य विभाग बीमारी को फैलने से रोकने के लिए चौबीस घंटे काम कर रहा है।"


चांदीपुरा वायरस से बुखार आता है, जिसके साथ फ्लू और तीव्र एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) जैसे लक्षण होते हैं। इसमें अक्सर अचानक तेज बुखार आना, उसके बाद दौरे पड़ना, दस्त, मस्तिष्क में सूजन, उल्टी का होना शामिल है। यदि बाल रोगियों में उच्च श्रेणी के बुखार, उल्टी, दस्त, सिर दर्द और ऐंठन जैसे प्राथमिक लक्षण दिखाई देते हैं, तो तत्काल चिकित्सक को रेफर करना चाहिए।


स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि चांदीपुरा वायरस संक्रमक नहीं है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में ही इसके 12 मामले सामने आ गए हैं। ऐसे में इस वायरस को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। इससे सतर्क रहना बेहद जरूरी है। यह वायरस कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वायरस से संक्रमित बच्चे लक्षण दिखने के 48-72 घंटों के भीतर मर जाते हैं। ऐसे में यह वायरस शिशुओं और वयस्कों के लिए घातक है। गुजरात सरकार ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। संक्रमण आमतौर पर बरसात के मौसम में देखने को मिलता है और यह संक्रमित मक्खी, मच्छर के काटने से होता है। 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों में यह संक्रमण पाया जाता है। खास तौर पर यह ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिलता है।


गुजरात में साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल में चांदीपुरा वायरस के मामलों की पुष्टि इसी महीने हुई है। वायरस को लेकर पूरा राज्य अलर्ट पर है और अन्य जिलों में भी ऐसे मामले सामने आ सकते हैं। चांदीपुरा कोई नया वायरस नहीं है, इसका पहला मामला 1965 में महाराष्ट्र से सामने आया था। उसके बाद यह गुजरात में भी देखा गया है।


गुजरात सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं और लोगों से भी सावधानी बरतने की अपील की है। लोगों को मच्छरों और मक्खियों से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए, जैसे कि मच्छरदानी का उपयोग, घर और आसपास के क्षेत्रों की साफ-सफाई और बर्तनों में पानी न जमने देना।


गुजरात में चांदीपुरा वायरस का खतरा भले ही बढ़ रहा हो, लेकिन सही जानकारी और सतर्कता के साथ इससे बचाव किया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई सलाह और उपायों का पालन करके इस वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है।

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