सारांश : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का शनिवार को दिल्ली के निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके आर्थिक सुधारों और देश की प्रगति में दिए गए योगदान को याद करते हुए, पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है।
अंतिम संस्कार: राजकीय सम्मान के साथ विदाई
शनिवार सुबह डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित उनके आवास से कांग्रेस मुख्यालय लाया गया। उनके समर्थकों और नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनकी बेटियों ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे।
भूटान के राजा सहित कई विदेशी गणमान्य व्यक्ति भी उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। उनके सम्मान में केंद्र सरकार ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
कांग्रेस मुख्यालय में अंतिम दर्शन
डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर सुबह 8 बजे उनके निवास से कांग्रेस मुख्यालय लाया गया। यहां आम जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, और राहुल गांधी ने भी उनकी अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया। कांग्रेस कार्यालय में कुछ घंटों तक पार्थिव शरीर रखने के बाद इसे निगम बोध घाट ले जाया गया।
26 दिसंबर को हुआ निधन
डॉ. सिंह का निधन 26 दिसंबर की रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ। 92 वर्षीय डॉ. सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें निधन से कुछ घंटे पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देश के लिए यह क्षति अपूरणीय है।
प्रधानमंत्री के रूप में ऐतिहासिक योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में कई ऐतिहासिक पहल की। सूचना क्रांति, मनरेगा, किसानों की कर्जमाफी, और शिक्षा का अधिकार जैसे कदम उनके कार्यकाल की उपलब्धियों में शामिल हैं।
- सूचना का अधिकार (RTI): आम जनता को सशक्त बनाने के लिए यह कदम बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ।
- शिक्षा का अधिकार (RTE): हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिलाने की दिशा में यह क्रांतिकारी कदम था।
- मनरेगा: ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने इस योजना की शुरुआत की।
वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक सुधार
1991 में जब देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियां लागू कीं। यह उनके दूरदर्शी नेतृत्व का नतीजा था कि भारत की अर्थव्यवस्था ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के गाह में हुआ। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. की डिग्री हासिल की।
उनकी शैक्षणिक उपलब्धियां उन्हें अर्थशास्त्र का विशेषज्ञ बनाती हैं। उनकी नीतियों का आधार उनके गहन अध्ययन और अनुभव पर आधारित था।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
डॉ. सिंह का राजनीतिक सफर 1990 के दशक में शुरू हुआ, जब उन्हें नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने आर्थिक सुधारों की नींव रखी, जिसने भारत को आर्थिक रूप से मजबूत किया।
डॉक्टर साहब की विरासत
डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी विनम्रता, दूरदर्शिता और कुशल नेतृत्व के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनके द्वारा शुरू की गई योजनाओं और नीतियों का लाभ आज भी देश को मिल रहा है। आर्थिक सुधारों के महानायक के रूप में उनकी पहचान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है।
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