सारांश : राज्यसभा में विपक्ष द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर तीखी बहस और हंगामा हुआ। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर देश विरोधी ताकतों के साथ खड़े होने का आरोप लगाया। सदन की गरिमा और स्वतंत्रता पर सवाल उठाते हुए विपक्ष ने अपनी मांगें रखीं, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे साजिश करार दिया। हंगामे के चलते कार्यवाही को 12 दिसंबर तक स्थगित करना पड़ा।

Rajya Sabha में हंगामा : Vice President के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर Government और Opposition आमने-सामने


राज्यसभा में बुधवार को विपक्ष और सरकार के बीच तीखा टकराव देखने को मिला। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद सदन में हंगामे की स्थिति पैदा हो गई। इस प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच गरमागरम बहस हुई।


केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यह प्रस्ताव सभापति की गरिमा और उनकी निष्पक्षता पर हमला है। उन्होंने कहा, "किसान का बेटा उपराष्ट्रपति बना है, जिसने सदन की गरिमा बनाए रखी है। विपक्ष का यह कदम उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने का प्रयास है।"


अविश्वास प्रस्ताव पर हंगामा

कांग्रेस के नेतृत्व में I.N.D.I.A ब्लॉक ने अडानी मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए राज्यसभा महासचिव को यह प्रस्ताव सौंपा। विपक्ष का कहना है कि धनखड़ का रवैया पक्षपातपूर्ण रहा है और उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं।


विपक्षी नेता रंजीत रंजन ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा, "यह पहली बार हो रहा है कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों में अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है।" उन्होंने भाजपा पर संसद को बाधित करने और बहस से बचने का आरोप लगाया।


सरकार का पलटवार

भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने विपक्ष के कदम को साजिश करार दिया। उन्होंने कहा, "यह देश की संप्रभुता पर हमला है। कांग्रेस और उसके सहयोगी देश विरोधी ताकतों के साथ खड़े हैं। विपक्ष का यह प्रस्ताव देश का ध्यान महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाने की चाल है।"


नड्डा ने कांग्रेस और अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के बीच कथित संबंधों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "कांग्रेस को देश विरोधी ताकतों के साथ खड़ा होने के लिए माफी मांगनी चाहिए।"


सभापति के खिलाफ आरोप

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि विपक्ष ने यह प्रस्ताव पक्षपात और पूर्वाग्रह के आधार पर पेश किया है। उन्होंने कहा, "उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सदस्य नहीं होते, लेकिन उनका चुनाव लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सांसद करते हैं। इस प्रस्ताव से उनकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगते हैं।"


उन्होंने यह भी कहा कि संसद को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, क्योंकि अगर पीठासीन अधिकारी पक्षपात करते हैं, तो सदन सुचारू रूप से नहीं चल सकता।


कार्यवाही स्थगित

सदन में बढ़ते हंगामे के बीच सभापति ने कार्यवाही को 12 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। इससे पहले, मंगलवार को भी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही बाधित रही थी। विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों के बीच हुई नोकझोंक के कारण संसद का कामकाज ठप हो गया था।


शीतकालीन सत्र में व्यवधान

शीतकालीन सत्र, जो 25 नवंबर को शुरू हुआ था, पहले ही व्यवधानों का शिकार हो चुका है। सत्र 20 दिसंबर तक चलने वाला है, लेकिन बार-बार के स्थगन के कारण कोई भी महत्वपूर्ण कार्यवाही पूरी नहीं हो पा रही है।


निष्कर्ष

राज्यसभा में विपक्ष और सरकार के बीच यह टकराव भारतीय लोकतंत्र में विचार-विमर्श की आवश्यकता को उजागर करता है। जहां विपक्ष सत्ता पक्ष पर बहस से बचने का आरोप लगा रहा है, वहीं भाजपा इसे साजिश करार दे रही है। यह देखना बाकी है कि शीतकालीन सत्र के बाकी दिनों में यह गतिरोध समाप्त होगा या नहीं।

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