सारांश : शेयर बाजार में दो दिनों से लगातार अच्छी तेजी देखने को मिल रही है, जिससे निवेशकों को राहत मिली है। सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त दर्ज की गई है, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों को भी सपोर्ट मिला है। बाजार की मजबूती के पीछे आर्थिक सुधार, विदेशी निवेशकों की कम होती बिकवाली और सकारात्मक वैश्विक संकेत जैसे कई कारण बताए जा रहे हैं।
शेयर बाजार की चमक फिर लौटी, क्या यह तेजी बनी रहेगी?
शेयर बाजार में लगातार गिरावट के बाद अब दो दिनों से जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही है, जिससे निवेशकों का उत्साह बढ़ा है। सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त दर्ज की गई है और अधिकांश सेक्टोरल इंडेक्स भी हरे निशान में कारोबार कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह तेजी आगे भी जारी रहेगी या फिर यह सिर्फ अस्थायी उछाल है? आइए समझते हैं बाजार में आई इस मजबूती के पीछे के कारणों को और एक्सपर्ट्स की राय।
दो दिन से बाजार में जबरदस्त तेजी, आंकड़ों पर नजर
18 मार्च को भारतीय शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन मजबूती देखी गई। वैश्विक बाजारों से मिले मजबूत संकेतों के चलते निवेशकों का भरोसा बढ़ा और सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में बढ़त देखी गई।
सेंसेक्स सुबह 10:29 बजे 785.84 अंकों (1.06%) की बढ़त के साथ 74,955.79 पर पहुंच गया।
निफ्टी ने 226.50 अंकों (1.01%) की छलांग लगाई और 22,735.25 पर कारोबार कर रहा था।
करीब 2,118 शेयरों में बढ़त देखी गई, जबकि 411 शेयरों में गिरावट आई।
शेयर बाजार के 13 सेक्टोरल इंडेक्स में तेजी रही। निफ्टी ऑटो, बैंकिंग, एफएमसीजी, रियल्टी और मेटल इंडेक्स में करीब 1% तक की बढ़त देखने को मिली। वहीं, आईटी, इंफ्रा और फार्मा सेक्टर में भी 0.6% तक की मजबूती रही।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिला।
निफ्टी मिडकैप इंडेक्स 0.5% चढ़ा।
निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स 1.16% बढ़ा।
हालांकि, साल-दर-साल के हिसाब से ये इंडेक्स अभी भी क्रमशः 15% और 20% तक नीचे बने हुए हैं।
बाजार में तेजी के पीछे क्या हैं मुख्य कारण?
विशेषज्ञों के अनुसार, शेयर बाजार की यह मजबूती कुछ प्रमुख कारकों पर आधारित है। इनमें शामिल हैं:
भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत संकेत:
वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ 6.2% दर्ज की गई।
जनवरी में औद्योगिक उत्पादन (IIP) में 5% की बढ़त हुई।
फरवरी में खुदरा महंगाई दर 3.61% पर आ गई, जिससे महंगाई नियंत्रण में नजर आ रही है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली में कमी:
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की ओर से बिकवाली का दबाव कम हुआ है, जिससे बाजार में स्थिरता बनी हुई है।
अमेरिका और जापान के शेयर बाजारों का सकारात्मक असर:
अमेरिकी बाजार में रिटेल सेल्स के बेहतर आंकड़ों के चलते मजबूती आई, जिससे भारतीय बाजार को भी सहारा मिला।
फेडरल रिजर्व की इस हफ्ते होने वाली बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रखने की उम्मीद से निवेशकों में भरोसा बढ़ा है।
जापानी बाजार भी स्थिर नजर आ रहा है, जहां बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीति बैठक से ब्याज दर 0.5% बनाए रखने की उम्मीद है।
बाजार में कौन-कौन से स्टॉक्स रहे चर्चा में?
1. बजाज फिनसर्व
बजाज फिनसर्व ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस और बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस में Allianz SE की 26% हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की।
इस डील की कुल कीमत 24,180 करोड़ रुपये (2.83 बिलियन डॉलर) होगी।
इस खबर के बाद बजाज फिनसर्व के शेयर 1% गिरकर खुले।
2. IGI Ltd
कंपनी के 2.28 करोड़ शेयरों का लॉक-इन पीरियड खत्म होने के कारण निवेशकों ने बिकवाली शुरू कर दी।
इसका नतीजा यह हुआ कि IGI Ltd के शेयर 5% टूटकर लोअर सर्किट पर आ गए और 288 रुपये पर कारोबार करने लगे।
3. IRCON International Ltd
सरकारी कंपनी IRCON International Ltd को 1,096.2 करोड़ रुपये का ठेका मिला है।
इस ठेके के बाद कंपनी के शेयरों में 7% की तेजी देखी गई।
यह ठेका बद्री राय एंड कंपनी के साथ जॉइंट वेंचर के रूप में हासिल किया गया है।
क्या यह तेजी बनी रहेगी? एक्सपर्ट्स की राय
शेयर बाजार में आई इस मजबूती पर विशेषज्ञों की मिली-जुली राय है।
कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मजबूत आर्थिक संकेत और विदेशी निवेशकों का भरोसा बाजार को आगे भी सपोर्ट कर सकते हैं।
वहीं, कुछ का कहना है कि फेडरल रिजर्व की बैठक और अमेरिकी महंगाई के आंकड़े बाजार के आगे के ट्रेंड को तय करेंगे।
अगर अमेरिका में ब्याज दरें स्थिर रहती हैं, तो बाजार में और तेजी देखने को मिल सकती है।
लेकिन अगर ब्याज दरें बढ़ने का संकेत मिलता है, तो बाजार में फिर से गिरावट आ सकती है।
निष्कर्ष: निवेशकों को क्या करना चाहिए?
अगर आप लॉन्ग-टर्म निवेशक हैं, तो बाजार की गिरावट में अच्छी कंपनियों में निवेश करना बेहतर रहेगा।
शॉर्ट-टर्म निवेशकों के लिए सलाह है कि वे बाजार की अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहें और स्टॉप-लॉस का उपयोग करें।
स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में निवेश करने से पहले कंपनी की फंडामेंटल स्थिति को जरूर जांचें।
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