सारांश : लंबे इंतजार के बाद भारत को अमेरिकी इंजन कंपनी से तेजस मार्क 1-A लड़ाकू विमानों के लिए पहला GE-404 इंजन मिलने वाला है। इसकी डिलीवरी इस महीने के अंत तक हो सकती है, जिससे भारतीय वायुसेना को मजबूती मिलेगी। HAL और GE मिलकर भारत में GE-414 इंजन के निर्माण पर भी काम कर रहे हैं, जो भविष्य के एडवांस मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए अहम भूमिका निभाएगा। अमेरिका ने भारत को F-35 जेट का प्रस्ताव दिया है, लेकिन भारत फिलहाल फ्रांस के राफेल जेट पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
भारत को मिलेगा अमेरिकी इंजन, तेजस की ताकत में होगा इजाफा
भारत लंबे समय से अपने तेजस मार्क 1-A लड़ाकू विमानों के लिए अमेरिकी इंजन की प्रतीक्षा कर रहा था। अब दो साल बाद, यह इंतजार खत्म होने वाला है। अमेरिकी विमान इंजन निर्माता कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) इस महीने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को पहला GE-404 इंजन डिलीवर करने की तैयारी में है। इस इंजन की सप्लाई में देरी से भारतीय वायुसेना को मुश्किलें हो रही थीं, लेकिन अब इसकी उपलब्धता से तेजस विमान की ताकत में इजाफा होगा।
GE-404 इंजन का उपयोग
GE-404 इंजन को खासतौर पर हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस मार्क 1-A के लिए डिजाइन किया गया है। यह इंजन 9,000 किलोग्राम से अधिक का थ्रस्ट देने में सक्षम है, जिससे तेजस को जबरदस्त गति और उन्नत युद्धक क्षमता मिलेगी।
महीने के अंत तक पहली डिलीवरी, 2025 तक मिलेंगे 12 इंजन
रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगवाए गए इंजनों में से पहला इंजन पहले ही परीक्षण स्थल पर पहुंच चुका है। इसकी डिलीवरी फरवरी के अंत तक होने की उम्मीद है। इसके अलावा, 2025 के अंत तक कुल 12 इंजन भारत को मिल सकते हैं।
भारत ने साल 2021 में 99 GE-404 इंजनों की खरीद के लिए 716 मिलियन डॉलर की डील की थी। इस अनुबंध के तहत हर साल 20 इंजन की डिलीवरी की जाएगी, जिससे भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता में लगातार सुधार होगा।
HAL और GE मिलकर बना रहे हैं GE-414 इंजन
भारत केवल GE-404 इंजन पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि HAL और GE मिलकर GE-414 इंजन का निर्माण भी कर रहे हैं। यह इंजन भविष्य के एडवांस मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए तैयार किया जा रहा है।
GE-414 इंजन की खासियत:
यह भारत में निर्मित होने वाला एक शक्तिशाली इंजन होगा।
इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है।
यह इंजन 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के लिए उपयुक्त होगा।
रक्षा मंत्रालय भी इस प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहा है। भारतीय वायुसेना के प्रमुखों ने HAL की देरी पर नाराजगी जताई थी, जिसके बाद रक्षा सचिव आरके सिंह के नेतृत्व में एक विशेष समिति बनाई गई। इसका मकसद भारत को लड़ाकू विमान निर्माण में आत्मनिर्भर बनाना और HAL पर पूरी तरह निर्भरता को कम करना है।
अमेरिका ने दिया F-35 का प्रस्ताव, लेकिन भारत की नजर राफेल पर
अमेरिका ने भारत को F-35 फाइटर जेट देने का प्रस्ताव रखा है, जो 5वीं पीढ़ी का एडवांस लड़ाकू विमान है। हालांकि, भारत ने इस प्रस्ताव पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
भारत फिलहाल फ्रांस के राफेल जेट के स्वदेशी निर्माण के विकल्प पर विचार कर रहा है। फ्रांस M-88 इंजन के साथ राफेल जेट का उत्पादन भारत में करने का प्रस्ताव दे रहा है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बढ़ावा देगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत का मुख्य फोकस स्वदेशी रक्षा उत्पादन को मजबूत करना है। भारत भविष्य में अपनी वायुसेना को अधिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी लड़ाकू विमान निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
निष्कर्ष: भारतीय वायुसेना को मिलेगी नई ताकत
GE-404 इंजन की डिलीवरी से तेजस मार्क 1-A लड़ाकू विमान की ताकत में बढ़ोतरी होगी।
GE-414 इंजन का निर्माण भारत में ही किया जाएगा, जिससे भविष्य के लड़ाकू विमानों को शक्ति मिलेगी।
HAL की धीमी गति से डिलीवरी पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है और वैकल्पिक मॉडल पर विचार किया जा रहा है।
अमेरिका ने भारत को F-35 फाइटर जेट देने की पेशकश की है, लेकिन भारत फिलहाल फ्रांस के राफेल के स्वदेशी निर्माण को प्राथमिकता दे रहा है।
भारत अपने रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है, और आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना और अधिक मजबूत एवं अत्याधुनिक बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
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