एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI)

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक ऐसा मापक है जो वायु की गुणवत्ता को सरल और समझने योग्य स्वरूप में प्रस्तुत करता है। यह सूचकांक वातावरण में मौजूद विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों की मात्रा का आकलन करता है और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के आधार पर उन्हें श्रेणियों में वर्गीकृत करता है। AQI का मुख्य उद्देश्य लोगों को वायु की गुणवत्ता की स्थिति के बारे में जागरूक करना और उनसे सतर्क रहने की अपील करना है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI)


AQI का महत्व

AQI प्रदूषण स्तर के आधार पर यह बताने में मदद करता है कि वायु कितना साफ या प्रदूषित है और यह स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह जानकारी अत्यंत उपयोगी होती है।


AQI की गणना

एयर क्वालिटी इंडेक्स मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रदूषकों के स्तर को मापकर तैयार किया जाता है:

  • पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10): छोटे कण जो श्वसन तंत्र में गहराई तक जा सकते हैं।
  • ओजोन (O3): सतही स्तर पर मौजूद ओजोन का अधिकतम स्तर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • कार्बन मोनोक्साइड (CO): जलने वाली सामग्री से उत्सर्जित गैस।
  • सल्फर डाइऑक्साइड (SO2): कोयला और तेल के जलने से उत्सर्जित।
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2): वाहनों और उद्योगों से निकलने वाली गैस।
  • एमोनिया (NH3): कृषि और औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकलने वाली गैस।

हर प्रदूषक के लिए एक मानक सीमा तय की जाती है। इन मानकों के आधार पर हर प्रदूषक का अलग-अलग सूचकांक निकाला जाता है, और उनमें से सबसे खराब स्थिति वाले प्रदूषक के आधार पर AQI निर्धारित होता है।


AQI के स्तर और श्रेणियां

AQI को आमतौर पर 6 श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:

  • 0-50: अच्छा (स्वस्थ वायु)
  • 51-100: संतोषजनक (कमजोर वर्गों के लिए हल्की समस्या)
  • 101-200: मध्यम (संवेदनशील व्यक्तियों को हल्की समस्या)
  • 201-300: खराब (सांस लेने में समस्या हो सकती है)
  • 301-400: बहुत खराब (गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं)
  • 401-500: खतरनाक (सभी के लिए गंभीर प्रभाव)


प्रभाव और उपाय

  • प्रभाव: AQI का स्तर बढ़ने से सांस की बीमारियां, हृदय संबंधी समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं। यह फसलों और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
  • उपाय: वाहनों का कम उपयोग, सार्वजनिक परिवहन का समर्थन, वृक्षारोपण, स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग, और उद्योगों पर सख्त निगरानी जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।


भारत में AQI

भारत में AQI को 2014 में लॉन्च किया गया था। इसे "नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स" के रूप में भी जाना जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) इसके आंकड़ों को जारी करता है और देशभर में 8 प्रमुख प्रदूषकों की निगरानी करता है। दिल्ली, मुंबई और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में AQI का स्तर अक्सर खराब या खतरनाक श्रेणी में पाया जाता है।