कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax)

कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax - CGT) वह कर है जो किसी परिसंपत्ति (Asset) की बिक्री से होने वाले लाभ (Capital Gain) पर लगाया जाता है। जब कोई व्यक्ति, कंपनी या अन्य संस्थान किसी निवेश, अचल संपत्ति (Real Estate), स्टॉक्स (Shares), बॉन्ड्स (Bonds) या अन्य संपत्ति को खरीदने के बाद उसे अधिक कीमत पर बेचता है, तो इस मूल्य वृद्धि पर कर लगाया जाता है। भारत में, यह कर आयकर अधिनियम, 1961 के तहत आता है।


कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax)


कैपिटल


कैपिटल गेन दो प्रकार के होते हैं:


1. शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG - Short-Term Capital Gain)

जब कोई परिसंपत्ति एक निश्चित अवधि के भीतर बेची जाती है, तो उस पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। यह अवधि विभिन्न परिसंपत्तियों के लिए अलग-अलग होती है:


  • सूचीबद्ध इक्विटी शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड: 12 महीने से कम
  • अचल संपत्ति (जमीन, मकान, आदि): 24 महीने से कम
  • अन्य परिसंपत्तियाँ (बॉन्ड, सोना, गैर-सूचीबद्ध शेयर, आदि): 36 महीने से कम


शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स स्लैब के आधार पर या 15% (धारा 111A के तहत) लगाया जाता है, यदि लाभ स्टॉक मार्केट या म्यूचुअल फंड से प्राप्त हुआ हो।


2. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG - Long-Term Capital Gain)

जब परिसंपत्ति को लंबी अवधि के बाद बेचा जाता है, तो उस पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसकी न्यूनतम होल्डिंग अवधि इस प्रकार है:


  • सूचीबद्ध इक्विटी शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड: 12 महीने से अधिक
  • अचल संपत्ति (जमीन, मकान, आदि): 24 महीने से अधिक
  • अन्य परिसंपत्तियाँ (बॉन्ड, सोना, गैर-सूचीबद्ध शेयर, आदि): 36 महीने से अधिक


लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 10% टैक्स (धारा 112A के तहत, ₹1 लाख तक की छूट) या 20% टैक्स (अन्य परिसंपत्तियों पर इंडेक्सेशन लाभ सहित) लगता है।


कैपिटल गेन टैक्स की गणना

कैपिटल गेन की गणना निम्नलिखित सूत्र से की जाती है:


कैपिटल गेन = बिक्री मूल्य - अधिग्रहण मूल्य - सुधार लागत - ट्रांजैक्शन खर्च


  • बिक्री मूल्य (Sale Price): जिस मूल्य पर संपत्ति बेची गई।
  • अधिग्रहण मूल्य (Purchase Price): जिस मूल्य पर संपत्ति खरीदी गई।
  • सुधार लागत (Improvement Cost): संपत्ति पर किए गए सुधार कार्यों का खर्च।
  • ट्रांजैक्शन खर्च (Transaction Costs): स्टांप ड्यूटी, ब्रोकरेज, कानूनी शुल्क आदि।


लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन की गणना में इंडेक्सेशन बेनिफिट (Indexation Benefit) भी मिलता है, जिससे मुद्रास्फीति (Inflation) के प्रभाव को समायोजित किया जा सकता है।


कैपिटल गेन टैक्स से बचने के तरीके

1. धारा 54: घर खरीदने पर छूट

यदि कोई व्यक्ति अपनी अचल संपत्ति (जमीन या मकान) बेचकर नए घर में निवेश करता है, तो उसे कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिल सकती है।


2. धारा 54EC: पूंजीगत लाभ को सरकारी बॉन्ड में निवेश करना

यदि कोई व्यक्ति अचल संपत्ति बेचने के बाद REC, NHAI, या अन्य सरकार द्वारा अनुमोदित बॉन्ड्स में निवेश करता है, तो उसे 50 लाख रुपये तक के निवेश पर छूट मिलती है।


3. धारा 54F: अन्य परिसंपत्तियों पर छूट

यदि कोई व्यक्ति स्टॉक्स, बॉन्ड्स या अन्य संपत्ति बेचकर आवासीय संपत्ति में निवेश करता है, तो वह टैक्स छूट का दावा कर सकता है।


4. कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम (Capital Gains Account Scheme - CGAS)

अगर कोई व्यक्ति अपनी पूंजीगत आय को तुरंत निवेश नहीं कर सकता, तो वह इसे कैपिटल गेन अकाउंट में जमा कर सकता है और बाद में उपयोग कर सकता है।


कैपिटल गेन टैक्स और भारतीय स्टॉक मार्केट

शेयर बाजार से होने वाले लाभ पर भी कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है।


  • शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) शेयरों पर: 15%
  • लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) शेयरों पर: 10% (₹1 लाख तक छूट)


कैपिटल गेन टैक्स और बजट 2024-25 में बदलाव

हर वर्ष सरकार बजट के दौरान टैक्स से जुड़े नियमों में बदलाव कर सकती है। वित्त वर्ष 2024-25 में कुछ संभावित संशोधन किए जा सकते हैं, जैसे:


  • कैपिटल गेन टैक्स स्लैब में बदलाव
  • नए निवेश विकल्पों के लिए छूट
  • स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए टैक्स दरों में संशोधन