आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत एक वार्षिक रिपोर्ट है, जिसमें देश की आर्थिक स्थिति का विस्तृत विश्लेषण और मूल्यांकन किया जाता है। यह रिपोर्ट आमतौर पर केंद्रीय बजट से एक दिन पहले संसद में पेश की जाती है और इसे वित्त मंत्रालय के तहत मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा तैयार किया जाता है।
इतिहास:
आर्थिक सर्वेक्षण की परंपरा भारत में 1950-51 से शुरू हुई। तब से यह रिपोर्ट हर वर्ष प्रस्तुत की जाती है, जिसमें विभिन्न आर्थिक सूचकांकों का विश्लेषण और भविष्य की संभावनाओं का आकलन किया जाता है।
उद्देश्य:
- देश की आर्थिक स्थिति का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करना।
- विभिन्न आर्थिक नीतियों के प्रभाव का मूल्यांकन करना।
- भविष्य की आर्थिक नीतियों के लिए सिफारिशें प्रदान करना।
- नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और जनता को देश की आर्थिक स्थिति के बारे में सूचित करना।
मुख्य बिंदु:
- जीडीपी और विकास दर: देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और आर्थिक विकास दर का आकलन।
- मुद्रास्फीति और मूल्य स्थिरता: मुद्रास्फीति की दर और मूल्य स्थिरता पर रिपोर्ट।
- रोजगार और बेरोजगारी: रोजगार के अवसरों और बेरोजगारी की दर का विश्लेषण।
- राजकोषीय नीति: सरकार की राजकोषीय नीतियों का विश्लेषण, जिसमें राजस्व, व्यय और बजट घाटा शामिल हैं।
- मौद्रिक नीति: मौद्रिक नीति और केंद्रीय बैंक की भूमिका पर रिपोर्ट।
- विभिन्न क्षेत्रों का विश्लेषण: कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र आदि का विस्तृत विश्लेषण।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, निर्यात-आयात और विदेशी निवेश का विश्लेषण।
- सामाजिक और मानव विकास: शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में प्रगति का आकलन।
प्रस्तुति और संरचना:
आर्थिक सर्वेक्षण को आमतौर पर दो भागों में विभाजित किया जाता है:
- भाग 1: इसमें विश्लेषणात्मक अध्याय होते हैं जो आर्थिक स्थिति और नीतिगत मुद्दों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं।
- भाग 2: इसमें सांख्यिकीय जानकारी और आंकड़े होते हैं जो विभिन्न आर्थिक सूचकांकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हैं।
प्रभाव और महत्व:
आर्थिक सर्वेक्षण का नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, आर्थिक विशेषज्ञों और आम जनता के लिए विशेष महत्व है। यह न केवल सरकार को आर्थिक नीतियों के निर्माण में मार्गदर्शन करता है, बल्कि यह उद्योग, व्यापार और निवेश से संबंधित निर्णयों में भी सहायक होता है। इसके माध्यम से सरकार अपनी नीतियों की समीक्षा और सुधार कर सकती है, जिससे देश की आर्थिक प्रगति सुनिश्चित की जा सके।
मुख्य आर्थिक सलाहकार:
आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है। यह पद वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है और वर्तमान में (जुलाई 2024 तक) वी. अनंत नागेश्वरन इस पद पर कार्यरत हैं।