श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) किसी देश या क्षेत्र में कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की संख्या को मापने का एक महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है। यह दर इस बात को दर्शाती है कि कुल कामकाजी आयु की जनसंख्या में से कितने लोग कार्यरत हैं या काम की तलाश कर रहे हैं। इसे मुख्य रूप से 15 से 64 वर्ष के आयु वर्ग की जनसंख्या के संदर्भ में मापा जाता है।
परिभाषा और गणना
श्रम बल भागीदारी दर की गणना निम्नलिखित सूत्र के आधार पर की जाती है:
श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) = कुल कामकाजी आयु वर्ग की जनसंख्या
श्रम बल (कार्यरत और बेरोजगार)×100
यह दर किसी अर्थव्यवस्था में रोजगार की स्थिति, बेरोजगारी, और सक्रिय कार्यबल की भागीदारी को समझने के लिए उपयोग की जाती है।
भारत में श्रम बल भागीदारी दर
भारत में श्रम बल भागीदारी दर को लेकर हाल के वर्षों में काफी चर्चा हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा समय-समय पर इस पर आंकड़े जारी किए जाते हैं। भारत में महिला और पुरुष श्रम बल भागीदारी दर में बड़ा अंतर है।
महिला श्रम बल भागीदारी दर
भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) कई दशकों से चिंता का विषय रही है। हालांकि, हाल ही के आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में सुधार हुआ है। सरकारी योजनाओं जैसे कि मुद्रा योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना, और स्वयं सहायता समूहों ने महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई है।
क्षेत्रीय भिन्नताएं
भारत में विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में LFPR में काफी अंतर है।
- झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में महिला LFPR में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है।
- पूर्वोत्तर भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है।
- शहरी भारत में, LFPR ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में कम है, विशेषकर महिलाओं के मामले में।
पुरुष श्रम बल भागीदारी दर
पुरुषों की श्रम बल भागीदारी दर महिलाओं की तुलना में काफी अधिक है। भारत में पुरुष LFPR लगभग 75% के आस-पास रहती है, जो विभिन्न आयु वर्गों में थोड़ा घटती-बढ़ती है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
वैश्विक स्तर पर, विकसित देशों की श्रम बल भागीदारी दर आमतौर पर अधिक होती है। जैसे कि, अमेरिका, जापान, और यूरोपीय देशों में यह दर 60-70% तक रहती है। इसके विपरीत, विकासशील देशों में यह दर ग्रामीण-शहरी और पुरुष-महिला असमानताओं के कारण भिन्न हो सकती है।
श्रम बल भागीदारी दर को प्रभावित करने वाले कारक
- आर्थिक स्थिति: आर्थिक मंदी और संकट के समय LFPR घट सकती है।
- शिक्षा का स्तर: शिक्षित लोगों की भागीदारी दर अधिक होती है।
- लिंग असमानता: महिलाओं की सामाजिक स्थिति और पारिवारिक जिम्मेदारियां उनकी LFPR को प्रभावित करती हैं।
- सरकारी नीतियां: रोजगार सृजन की योजनाएं LFPR में सुधार कर सकती हैं।
LFPR में सुधार के उपाय
- महिलाओं के लिए सुरक्षित और लचीले कार्यस्थलों का निर्माण।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए योजनाएं।
- बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच और डे-केयर सुविधाओं का विकास।
- कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन।