लिंगायत धर्म एक दक्षिण भारतीय विशेष जाति और धर्म है, जो प्रमुख रूप से कर्नाटक राज्य में निवास करती है। इस धर्म का मूल धार्मिक आधार शिवशरणर्य फिलोसफी पर आधारित है। लिंगायत धर्म के अनुयायी शिव को प्रमुख देवता मानते हैं और उनके प्रतिष्ठान में शिवलिंग की पूजा करते हैं।
इतिहास
लिंगायत धर्म का उद्भव 12वीं और 13वीं शताब्दी के बीच हुआ, जब वीरशैव धर्म समुदाय में विवाद था। लिंगायत समुदाय के संस्थापक बसवन्ना, जिन्हें भगवान बसवेश्वर के रूप में भी जाना जाता है, ने सामाजिक और धार्मिक समाज की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई।
धार्मिक अवधारणाएँ
लिंगायत धर्म के अनुयायी शिव के साक्षात्कार और उनके आदर्शों का पालन करते हैं। उनका मुख्य मंत्र 'ओम नमः शिवाय' है। वे समाज में समानता, समाज सेवा, और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं।
सामाजिक संरचना
लिंगायत समुदाय में पुरुषों और महिलाओं के बीच सामाजिक समानता की प्रतिष्ठा है। इस समाज में विवाह और भोजन की सामाजिक दृष्टिकोण से विशेषता होती है।
आधिकारिक छवि
लिंगायत धर्म के प्रमुख स्थलों में उनके धार्मिक समारोह और परंपरागत आयोजनों की आधिकारिक छवियों में लोग भाग लेते हैं।
संगठन संरचना
लिंगायत समुदाय में संगठित संरचना होती है, जो कि धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों को संचालित करती है।
साहित्य और कला
लिंगायत समुदाय का साहित्य और कला में महत्वपूर्ण योगदान है, जो उनके धार्मिक और सामाजिक मूल्यों को प्रकट करता है।
सम्मान और पुरस्कार
लिंगायत समुदाय ने अपने सामाजिक सेवाओं और धार्मिक कार्यों के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
सन्दर्भ
लिंगायत धर्म के विषय में अधिक जानकारी के लिए आप निम्नलिखित संदर्भों का उपयोग कर सकते हैं:
- कर्णाटक के लिंगायत: इतिहास और संगठन, लिंगायत एवं वीरशैव समुदाय: एक अध्ययन, आदि।