सुनामी एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ होता है "बंदरगाह लहरें"। यह शब्द उन विशाल समुद्री लहरों के लिए प्रयोग किया जाता है जो समुद्र के अंदर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन या उल्कापिंडों के गिरने से उत्पन्न होती हैं। सुनामी की लहरें अत्यधिक ऊँचाई और गति से समुद्र तट की ओर बढ़ती हैं, जिससे तटीय क्षेत्रों में व्यापक विनाश हो सकता है।
उत्पत्ति और कारण
सुनामी का मुख्य कारण समुद्र तल में होने वाला भूकंप है। जब समुद्र के नीचे स्थित प्लेट्स आपस में टकराती हैं, तो उनमें से एक प्लेट दूसरी के नीचे धंस जाती है, जिससे समुद्र तल ऊपर उठ जाता है और पानी की बड़ी मात्रा में विस्थापन होता है। यह विस्थापित पानी विशाल लहरों के रूप में तट की ओर बढ़ता है। ज्वालामुखी विस्फोट और समुद्री भूस्खलन भी सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं।
लक्षण और पहचान
सुनामी की लहरें सामान्य समुद्री लहरों से भिन्न होती हैं। सामान्य लहरों के विपरीत, जिनकी लहरों की लंबाई कुछ मीटर होती है, सुनामी की लहरों की लंबाई कई किलोमीटर हो सकती है। ये लहरें बेहद तेज गति से यात्रा करती हैं, जो समुद्र में 500-800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ सकती हैं। तट के पास आते-आते इनकी गति कम हो जाती है, लेकिन इनकी ऊँचाई बहुत बढ़ जाती है, जिससे वे विनाशकारी प्रभाव डालती हैं।
प्रभाव
सुनामी के प्रभाव अत्यधिक विनाशकारी होते हैं। ये लहरें समुद्र तट पर स्थित इमारतों, पुलों, सड़कों और संचार प्रणाली को ध्वस्त कर सकती हैं। इसके अलावा, ये लहरें खेती की भूमि को भी नुकसान पहुंचाती हैं और पीने के पानी के स्रोतों को प्रदूषित कर देती हैं। सुनामी के कारण जन-धन की भारी हानि होती है और लोग अपने घरों से विस्थापित हो जाते हैं।
ऐतिहासिक सुनामी
इतिहास में कई विनाशकारी सुनामी घटनाएँ हुई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
2004 भारतीय महासागर सुनामी: यह सुनामी 26 दिसंबर 2004 को भारतीय महासागर में आए 9.1-9.3 तीव्रता के भूकंप के कारण उत्पन्न हुई थी। इस घटना में 14 देशों में लगभग 230,000 से अधिक लोग मारे गए थे और लाखों लोग बेघर हो गए थे।
2011 जापान सुनामी: 11 मार्च 2011 को जापान में 9.0 तीव्रता के भूकंप के बाद आई सुनामी ने बड़े पैमाने पर विनाश किया। इस सुनामी से फुकुशिमा दाइची परमाणु दुर्घटना भी हुई, जो मानव इतिहास की सबसे गंभीर परमाणु दुर्घटनाओं में से एक है।
चेतावनी प्रणाली और तैयारी
सुनामी से बचाव के लिए विभिन्न देशों ने चेतावनी प्रणाली विकसित की हैं। इनमें से प्रमुख है 'पैसिफिक सुनामी वॉर्निंग सेंटर' जो प्रशांत महासागर के तटीय क्षेत्रों में सुनामी की चेतावनी जारी करता है। इसके अलावा, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन योजनाएँ बनाई जाती हैं, जिसमें तटीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों को सुनामी के समय सुरक्षित स्थानों पर जाने की जानकारी दी जाती है।
निष्कर्ष
सुनामी प्राकृतिक आपदाओं में से एक है जो अचानक और बिना पूर्व सूचना के आती है और व्यापक विनाश कर सकती है। हालांकि, आधुनिक विज्ञान और तकनीक की मदद से सुनामी की चेतावनी और इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। जागरूकता और तैयारी से हम इस आपदा का सामना अधिक प्रभावी ढंग से कर सकते हैं।